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एक चम्मच इतिहास 'दाल मखनी' का!

वैसे तो दाल की कई वैराइटीज़ काफ़ी फेमस हैं, लेकिन जब बात दाल मखनी की आती है तो मुंह में पानी आना तो लाज़मी है। काली दाल और राजमा में क्रीमी मक्खन का स्वाद किसी के भी दिल में तुरंत जगह बना ले। चावल हो या तंदूरी रोटी, हर चीज़ के साथ इसकी जोड़ी हिट है! लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह स्वाद आख़िर आया कहां से?

द बेटर इंडिया की कहानी का असर, वर्मीकम्पोस्ट का काम 200 बेड्स से बढ़कर पहुंचा 1100 तक

By प्रीति टौंक

Ph.d. की पढ़ाई करने के बाद वर्मीकम्पोस्ट का काम शुरू करने वाले जयपुर के डॉ. श्रवण यादव को लोगों ने कहा- डॉक्टर होकर खाद बेचोगे। आज वह हजारों युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं और खुद भी लाखों रुपये कमा रहे हैं। अपनी सफलता का श्रेय वह द बेटर इंडिया को देते हैं।

पद्म श्री से सम्मानित होंगे भानुभाई चितारा, 400 साल पुरानी कला को आज भी रखा है जीवित

By प्रीति टौंक

साल 2023 में पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले एक कलाकर हैं, भानुभाई चितारा। 80 साल के भानुभाई और उनका पूरा परिवार 400 साल पुरानी 'माता नी पचेड़ी' कला को आज भी जीवित रखने के लिए जाने जाते हैं।

27 वर्षीया लहरी बनीं मिसाल! आदिवासी जनजाति की इस महिला ने बनाया 150 दुर्लभ बीजों का बैंक

By प्रीति टौंक

मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी महिला लहरी बाई को ‘अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष' के लिए ब्रांड एंबेसडर घोषित किया गया। उनके बीज बैंक में 150 से ज्यादा दुर्लभ बीजों की किस्में मौजूद हैं।

शहर के बीच लेकिन भाग-दौड़ से दूर, बिल्कुल घर वाला सुकून देता है खुशियों का यह कैफ़े

बेंगलुरु का सबसे पहला सस्टेनेबल और वीगन कैफ़े है 'हैप्पीनेस कैफ़े', जहां 100% प्लांट बेस्ड और टेस्टी खाने का स्वाद तो मिलता ही है, इसके अलावा इस अनोखे कैफ़े में प्रकृति के करीब रहने का एहसास मेहमानों को कुछ दिन यहीं ठहरने पर मजबूर कर देता है।

एक चम्मच इतिहास 'चीनी' का! 

चीनी यानी शक्कर के दाने भी भारत का ही आविष्कार हैं। माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति गुप्त शासन काल में हुई थी। गुड़ से जब शक्कर बनाई गई तो यह दिखने में सफ़ेद, क्रिस्टल और कंकड़ की तरह थी। इसके इसी रवेदार गुण की वजह से ही इसे 'शर्करा' कहा गया और इसी संस्कृत शब्द से बना है 'शक्कर'।

YouTube पर देखकर सीखा ट्रिक और 10 साल की उम्र में शुरू कर लिया अपना बिज़नेस

By प्रीति टौंक

मिलिए, वडोदरा के रेनाश देसाई से जो शहर के सबसे छोटे बिज़नेसमैन हैं। महज 10 साल की उम्र से उन्होंने Enso shoes नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया। वह हाइड्रोडीप तरीके से स्टाइलिश जूते बनाकर बेचते हैं और अपनी कमाई का 40 प्रतिशत हिस्सा जरूरतमंदों को देते हैं।

एक भी पेड़ काटे बिना, सुंदर पहाड़ी पर बना है यह हिल हाउस

केरल के वायनाड में बसे खूबसूरत सस्टेनेबल घर 'एस्टेट प्लावु' में वुडेन फ्लोर, क्ले के टाइल्स की छत, युकलिप्टस के पिलर्स और पत्थर के रास्तों का नज़ारा देखने को मिलता है। एक भी पेड़ को काटना या पत्थर को हटाना न पड़े इसलिए इस अनोखे घर का डिज़ाइन सबसे अलग बनाया गया, जिसका श्रेय जाता है बेंगलुरु के आर्किटेक्ट जॉर्ज रामापुरम और उनकी टीम को।

रांची में खुला पौधों का शॉपिंग मॉल! एक इंजीनियर की अनोखी पहल

By प्रीति टौंक

मिलिए, रांची के सौरभ कुमार से, जो पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, लेकिन पौधों और हरियाली के अपने शौक़ के कारण उन्होंने नौकरी करने के बजाय पौधे उगाना शुरू किया। आज वह इंडोर पौधों का एक अनोखा शॉपिंग मॉल चला रहे हैं और लोगों के घर के अंदर हरियाली फैला रहे हैं।

एक चम्मच इतिहास 'समोसा' का!

आप समोसे को भले ही स्ट्रीट फूड मानें, लेकिन यह उससे बहुत बढ़कर है। समोसा इस बात का सबूत है कि ग्लोबलाइज़ेशन कोई नई चीज़ नहीं है, क्योंकि इसकी पहचान देश की सीमाओं से परे है। कुछ लोग मानते हैं कि समोसा एक भारतीय नमकीन पकवान है, लेकिन इससे जुड़ा इतिहास कुछ और ही कहता है, क्या? आइए जानते हैं-