एक चम्मच इतिहास ‘पान’ का!

बनारसी पान तो पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन मद्रासी, कपूरी, सुहागपुरी, रामटेकी, महोवा पान भी कम नहीं। पान का पत्ता चखते ही उसकी क़िस्म के बारे में बता देने वाले महारथी भी देश में कम नहीं हैं। पान का यह पत्ता हमारे खान-पान और संस्कृति के ताने-बाने में कुछ इस तरह से रचा बसा है कि इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। इसे हम आज भी वहीं पाते हैं, जहां यह सदियों पहले था।

पुराने समय में दादी और नानी, रात को कहानी सुनाने से पहले पान की गिलोरी मुंह में रखा करती थीं और फिर एक के बाद एक मज़ेदार किस्से सुनने को मिलते थे। वहीं, अगर आज के समय की बात करें तो शादी या फिर कोई भी समारोह क्यों न हो, मीठे में पान एक खास स्वाद के साथ आपका इंतज़ार करता नज़र आ ही जाएगा।

दरअसल, पान का यह पत्ता हमारे खान-पान और संस्कृति के ताने-बाने में कुछ इस तरह से रचा बसा है कि इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। इसे हम आज भी वहीं पाते हैं, जहां यह सदियों पहले था।

पांच हज़ार साल पुराना पान, सेहत के लिए बेहतरीन 

पान को संस्कृत के शब्द ‘पर्ण’ से लिया गया है, जिसका मतलब है पत्ती। पान का ज़िक्र भारतीय पौराणिक कथाओं के साथ-साथ आयुर्वेद की औषधियों के रूप में भी किया गया है। जालीदार शिराओं के साथ, दिल के आकार वाले पान के इस पत्ते को कई तरह के धार्मिक समारोहों में भी खास जगह दी जाती है। लगभग पांच हज़ार सालों से इसे रोज़ाना किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।

लेकिन क्या आप जानते हैं स्वाद और होठों को लाल रंग देने के अलावा पान के पत्ते में सेहत के कई राज़ भी छिपे हैं। हालांकि बहुत से लोग इसे तंबाकू, सुपारी या फिर कास्टिक या बुझे हुए चूने के साथ खाते हैं, जिसकी वजह से इसे मुंह के कैंसर का कारण माना जाता है।

लेकिन इस बात पर हमें ध्यान देना होगा कि इस पत्ते को खाने के और भी कई तरीके हैं, जिनसे हमें फ़ायदा मिलता है। इसके एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुण शरीर के लिए काफी फ़ायदेमंद होते हैं। सुश्रुत संहिता, चरक संहिता और काश्यप संहिता जैसे आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ के अनुसार पान औषधीय गुणों की खान है, किसी ज़माने में दवाई के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता था। 

Making of Paan
स्वाद के साथ ही पान के पत्ते में सेहत के भी कई राज़ छिपे हैं।

मुग़लों ने बनाया माउथ फ्रेशनर

सनातन धर्म में पूज्यनीय माना जाने वाला पान, जब मुग़लों के हाथ लगा तो उन्होंने इसमें चूना, लौंग, इलाइची वग़ैरह डालकर माउथ फ्रेशनर के रूप में खाना शुरू किया। मुग़ल बादशाह अपने बेहद खास मेहमानों को खुश करने के लिए बड़े अदब के साथ भोजन के बाद इसे खिलाते थे।

धीरे-धीरे मुग़लों के बीच इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि बड़ी तादाद में शाही दरबार में पान के पत्तों को भेजा जाने लगा।लंबे समय तक पान का लुत्फ़ सिर्फ़ पुरुष उठाया करते थे, लेकिन वक्त के साथ इसका ट्रेंड भी बदला और इसे मेकअप के दौरान कॉस्मेटिक के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा। पहली बार नूरजहां ने पान का इस्तेमाल होंठों पर लाली लाने के लिए किया था, इसके बाद तमाम महिलाएं ऐसा करने लगीं। 

पान का सेवन सिर्फ़ भारत में ही नहीं, बल्कि इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, म्यांमार, पाकिस्तान, कंबोडिया, लाओस, थाईलैंड, वियतनाम, बांग्लादेश, नेपाल और ताइवान जैसे देशों में भी किया जाता है और हर जगह इससे जुड़ी अलग-अलग परंपराएं हैं। भारत का बनारसी पान तो पूरी दुनिया में मशहूर है ही, लेकिन मद्रासी, कपूरी, सुहागपुरी, रामटेकी, महोवा पान भी कुछ कम नहीं!

संपादन- अर्चना दुबे

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