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पति की याद में पत्नी की सेवा, फ्री में चला रहीं एम्बुलेंस, आई सैकड़ों मरीजों के काम

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मिलिए राजकोट की संगीता हरेश शाह से, जिनके नेक काम के कारण आज शहर के कई ज़रूरतमंद मरीजों को फ्री में एम्बुलेंस सेवा मिल रही है। पढ़ें उनकी कहानी और जानिए क्यों और कैसे हुई इस काम की शुरुआत।

राजकोट में एक ऐसी एम्बुलेंस चलती है, जिसका उपयोग आर्थिक रूप से कमज़ोर मरीज़ फ्री में कर सकते हैं और यह सेवा का काम राजकोट की संगीता हरेश शाह कर रही हैं। यह काम जितना खूबसूरत है, उतना ही खूबसूरत है इस सेवा के पीछे का मकसद भी।

दरअसल, कोरोना के कारण साल 2021 में अपने पति को खो देने के बाद, उन्होंने जीवन में ज़रूरतमंद लोगों के काम आने का फैसला किया। उन्होंने देखा कि कोरोना के दौर में सही समय पर एम्बुलेंस मिलना कितना मुश्किल होता था और कई परिवार तो ऐसे भी थे, जो एम्बुलेंस के पैसे चुकाने में असमर्थ थे। ये सब देखकर संगीता के मन में ज़रूरतमंदों के लिए फ्री एंबुलेंस सेवा शुरू करने का ख्याल आया। 

उन्होंने खुद के खर्च पर एक कार खरीदी और इसे एम्बुलेंस में बदल दिया और पिछले एक साल से वह आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को फ्री में एम्बुलेंस सुविधा मुहैया करा रही हैं। वहीं सक्षम लोग भी मात्र डीज़ल और ड्राइवर फीस देकर इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। 

sangeeta ben free ambulance service
Free Ambulance

एम्बुलेंस सेवा में लगा दीं सेविंग्स 

संगीता के पति हरेश शाह, राजकोट में ही नौकरी करते थे। कोविड के कारण निधन के बाद, उनकी सेविंग्स ही संगीता का सहारा थीं। लेकिन अपनी सेविंग का पूरा इस्तेमाल अपने लिए करने के बजाय पैसों का एक भाग संगीता ने सेवा कामों में खर्च करने का फैसला किया। 

अब वह उन्हीं पैसों से एम्बुलेंस का खर्च निकालती हैं और समय-समय पर जीव दया और बच्चों को कपड़े और राशन जैसी मदद भी पहुँचाती हैं। उनकी एम्बुलेंस राजकोट के सिविल अस्पताल के पास खड़ी रहती है, जहाँ आमतौर पर आस-पास के गांव से लोग इलाज के लिए आते हैं। 

संगीता ने बताया कि हाल ही में उनकी एम्बुलेंस एक मरीज़ को लेकर नेपाल भी गई थी। इस एम्बुलेंस में उनके पति की फोटो भी लगी है। संगीता को ख़ुशी है कि वह एक नेक काम में अपने पति की जमा पूंजी का इस्तेमाल कर पा रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में और लोग उनकी मदद के लिए आगे आएँगे,  जिससे वह अपने काम को आगे बढ़ा सकेंगी और एक की जगह दो एम्बुलेंस खरीदकर लोगों की मदद कर पाएंगी।  

संपादनः अर्चना दुबे

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