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नीम, गुड़ और मेथी के इस्तेमाल से राजस्थान की युवा डिज़ाइनर ने बनाया सपनों का आशियाना

सस्टेनेबिलिटी, पारम्परिक आर्किटेक्चर और लोकल कारीगरी का एक दुर्लभ नमूना है राजस्थान के अलवर शहर में बना यह मिट्टी का घर, जो Mud Kothi के नाम से मशहूर है। Sketch Design Studio की फाउंडर और युवा डिज़ाइनर शिप्रा सिंघानिया सांघी ने इसे बनाया है।

मजदूरी करने वाली राजीबेन ने बनाया खुद का सस्टेनेबल 'मेड इन इंडिया' ब्रांड

By प्रीति टौंक

कच्छ की रहने वाली राजीबेन वनकर प्लास्टिक वेस्ट से अलग-अलग प्रोडक्ट्स बनाती हैं। कभी मजदूरी करने वाली राजी बेन आज 30 से 40 महिलाओं को रोज़गार दे रही हैं।

4 लाख वेस्ट प्लास्टिक बैग्स और कचरे से बना देश का पहला कार्बन फ्री टॉयलेट ‘स्वच्छ आलय’

By प्रीति टौंक

18 साल की रूहानी वर्मा ने, R+D Studio के आर्किटेक्ट श्रीधर राव के साथ मिलकर बनाया है कचरे और प्लास्टिक वेस्ट से भारत का पहला कार्बन-नेगेटिव शौचालय।

एक शख़्स ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, ताकि ज़रूरतमंदों को मिल सके 1 रुपये में भर पेट खाना

By प्रीति टौंक

दिल्ली की श्री श्याम रसोई में हर दिन हजारों ज़रूरतमंदों को सिर्फ 1 रुपये में भर पेट खाना मिलता है। इस रसोई को शुरू करने के लिए प्रवीण गोयल ने अपने जीवन की सारी जमा पूंजी लगा दी।

सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली अर्थ हाउस ‘ब्रीथ', नीव से लेकर दीवारों तक सबकुछ है प्राकृतिक

बेंगलुरु के बाहरी इलाके कागलीपुरा में 8,000 sq.ft ज़मीन पर बने इस घर का नाम है- ‘Breathe’. जैसा नाम वैसा ही काम; यह सस्टेनेबल घर अपने अनोखे डिज़ाइन के कारण आम घरों के मुकाबले काफ़ी खुला, हवादार और सुकून भरा है।

शहर से आकर बंजर ज़मीन पर बनाया मिट्टी का घर, उगा दिया फूड फॉरेस्ट

आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले में सालों से बंजर पड़ी 13,900 स्क्वायर फीट की ज़मीन को बेंगलुरु के पुष्पा और किशन कल्याणपुर ने अपने बच्चों के साथ मिलकर केवल 3 महीने की कड़ी मेहनत और कोशिशों से न केवल उपजाऊ बना दिया, बल्कि यहाँ बनाया है 'वृक्षावनम' नाम का एक विशाल और सुन्दर फ़ूड फॉरेस्ट भी, जो आज उनके सस्टेनेबल घर की पहचान बन चुका है।

पांच दोस्तों का बनाया ECG डिवाइस 'स्पंदन', अब तक बचा चुका है 3000 जानें

By प्रीति टौंक

साल 2016 में अपने एक दोस्त को हार्ट अटैक से खोने के बाद, देहरादून के रजत जैन ने अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर 'स्पंदन' नाम का एक ऐसा डिवाइस तैयार किया, जो बिना हॉस्पिटल गए मिनटों में दिल का हाल बता देता है।

पढ़ाई के साथ सफल बिज़नेस भी! B.Tech पानीपूरी वाली बना रहीं स्ट्रीट फ़ूड को हेल्दी

By प्रीति टौंक

पानीपूरी खाते समय कैलोरी और हाइजिन की चिंता से परेशान होकर दिल्ली की तापसी उपाध्याय ने शुरू कर दिया खुद का पानीपूरी बिज़नेस। उनकी बिना तेल की बनी पूरी और मिनरल वॉटर से बना पानी लोगों को खूब पंसद आ रहा है।

एक युवक ने की पहल और सड़क पर रहनेवाले 300 बच्चों की बदली ज़िंदगी

By प्रीति टौंक

गोरखपुर के रत्नेश तिवारी आज खुद की एक कंपनी चलाने के साथ-साथ, ज़रूरतमंद बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए भी काम कर रहे हैं। वह अब तक 300 से ज़्यादा बच्चों को स्कूल तक पहुंचा चुके हैं।

एक चम्मच इतिहास 'दही वड़ा' का!

मुगलों और उनकी लाइफस्टाइल ने हमारे खान-पान पर गहरा असर छोड़ा। ऐसा माना जाता है कि 18वीं शताब्दी में मुगल खानसामों ने पाचन में सुधार के लिए दही, जड़ी-बूटियों और मसालों का इस्तेमाल करके मुगल रसोई में दही वड़े को तैयार किया था। लेकिन कहानियां और भी हैं.. आइए जानते हैं इस चटपटे व्यंजन का खट्टा-मीठा इतिहास।