होली के मौके पर गुजिया के बाद, जिस डिश का नाम आता है वह है दही वड़ा या दही भल्ला। गाढ़ी दही में डूबे उड़द के ये वड़े, मुंह में डालते ही घुल जाते हैं। इसका चटपटापन और दही की तासीर दोनों मिलकर ज़ुबान पर स्वाद का संगम कर देते हैं। गर्मी के मौसम का इससे शानदार स्वागत हो भी क्या सकता है! यह दही वड़ा हमारी मनपसंद चाट का ही एक हिस्सा है।
भारत के दक्षिण क्षेत्र में इसे दही वड़ा कहा जाता है और मेंदू वड़ा की तरह ही इनमें बीच में छेद होता है। वहीं, उत्तर और मध्य भारत में इस वड़े को गोल भजिए के आकार में बनाया जाता है और खट्टी-मीठी चटनी, जिसे सौंठ भी कहते हैं, के साथ और कहीं-कहीं हरी चटनी डालकर खाया जाता है।
मुख्य रूप से उड़द दाल से बने वड़ों को दही में भिगोकर बनाया जाता है, लेकिन बदलते समय के साथ मूंग दाल, ब्रेड, सूजी, स्प्राउट्स और यहां तक कि ओट्स के दही वड़े जैसे कई आधुनिक रूप भी देखने और खाने को मिल जाएंगे।
जब पहली बार बना दही वड़ा..
मुलायम और टेस्टी दही वड़े का जन्म वैसे तो भारत में हुआ है, लेकिन अब यह डिश पूरे साउथ एशिया में फैल चुकी है। 12वीं सदी के संस्कृत ग्रन्थ मानसोल्लास में ‘क्षीरवटा’ के नाम से दही वड़े का उल्लेख है। इसके अलावा, 500 BC के समय में भी इसके होने के कई सबूत मिलते हैं।
यानी यह एक बहुत ही पुरातन और पारंपरिक भारतीय डिश है। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल कई धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है। जैसा कि ज़्यादातर चाट जैसे व्यंजनों को मुग़लों के साथ जोड़ा जाता रहा है, वैसे ही कई कहानियों के अनुसार दही वड़े का आविष्कार 18वीं सदी में मुग़ल खानसामों ने किया।
क़िस्सा कुछ ऐसा है कि मुग़लई खाना क्योंकि काफी हैवी होता था, तो उसे पचाने के लिए ऐसे व्यंजनों की ज़रूरत थी, जो सुपाच्य हों। माना जाता है कि यमुना नदी का पानी भारी हुआ करता, पचने में मुश्क़िल था, तो कोशिश यह थी कि बादशाहों और बेगमों के खाने में पानी की जगह दही का इस्तेमाल किया जाए।
कई नामों से लोकप्रिय है चटपटा दही वड़ा
दही वड़ा लगभग पूरे देश में किसी न किसी अवसर पर हर घर में बनाया जाता है और शौक़ से खाया जाता है, तो ज़ाहिर है कि हर कोने की अलग-अलग भाषा और बोली के हिसाब से इसके कई नाम भी होंगे। मराठी में इसे दही वड़े, पंजाबी में दही भल्ला, तमिल में थयरी वडै और उड़ीसा-बंगाल में दोई बोरा कहते हैं।
भोजपुर इलाके में यह ‘फुलौरा’ के नाम से मशहूर है। चाट के ठेलों पर मिलने वाली दही-पापड़ी में भी भल्ला यानि वड़ा का ही बेस होता है। आज हमारे देश में कई ऐसे रेस्टोरेंट और चाट कॉर्नर हैं, जो सिर्फ़ अपने दही वड़े के स्वाद के लिए लोगों के बीच काफ़ी प्रसिद्ध हैं।
संपादन- अर्चना दुबे
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