एक शख़्स ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी, ताकि ज़रूरतमंदों को मिल सके 1 रुपये में भर पेट खाना

1 rs. thali

दिल्ली की श्री श्याम रसोई में हर दिन हजारों ज़रूरतमंदों को सिर्फ 1 रुपये में भर पेट खाना मिलता है। इस रसोई को शुरू करने के लिए प्रवीण गोयल ने अपने जीवन की सारी जमा पूंजी लगा दी।

एक रुपये की कीमत आज भी उस इंसान के लिए बहुत है, जो इसे कमाने के लिए दिन-रात मेहनत करता है। बावजूद इसके, कई लोगों को एक रुपये में भर पेट खाना नहीं मिलता। लेकिन दिल्ली के जरूरतमंदों को खाना खिलाने और उन्हें कभी भूखे न सोना पड़े, इसका पूरा ध्यान रखते हैं प्रवीण गोयल।  

अपनी इसी सोच के साथ, वह पिछले चार सालों से ‘श्री श्याम रसोई’ नाम की एक रसोई चला रहे हैं, जिसमें सिर्फ एक रुपये में रोज़ हजार से ज़्यादा लोगों को पेट भर खाना मिलता है। 

दिल्ली के नांगलोई इलाके के रहने वाले प्रवीण ने इस काम को जारी रखने के लिए अपने जीवन की पूरी जमा पूंजी, यहां तक की अपनी पत्नी के गहने भी बेच दिए। इस रसोई में हर दिन दो सब्जियां, चावल-दाल, रोटी और एक मिठाई खाने को मिलती है।  

उनका कहना है कि यह रसोई सिर्फ गरीबों के लिए नहीं, बल्कि सभी जरूरतमंदों को खाना खिलाने के लिए है। गरीब-अमीर का भेदभाव भूलकर लोग यहां खाना खाने आते हैं। वहीं, प्रवीण जैसे दूसरे सेवा भावी लोग यहां मुफ्त में सेवा देने के मकसद से आते हैं।

Praveen Goyal giving food to needy
Praveen Goyal

जीवन की एक घटना से मिली 1 रुपये थाली की प्रेरणा

दरअसल, प्रवीण कुछ साल पहले नोटबुक बनाने की कंपनी चलाते थे। एक बार अपने काम के सिलसिले में वह बहादुरगढ़ जा रहे थे। रास्ते में एक ढाबे में वह पानी पीने रुके थे और उसी ढाबे में उन्होंने देखा कि एक इंसान 10 रुपये लेकर खाना मांगने आया था। लेकिन ढाबे वाले ने उसे 10 रुपये में खाना देने से इंकार कर दिया।  

उस समय तो प्रवीण ने 100 रुपये देकर उस इंसान की मदद कर दी। लेकिन ऐसे और जरूरतमंदों को खाना खिलाने के लिए कुछ करने का फैसला उन्होंने उसी दिन कर लिया। प्रवीण ने घर आकर अपने बच्चों को कहा कि वह आगे का जीवन दूसरों की सेवा करके बिताना चाहते हैं।  

उस समय उनके बच्चे अच्छी जगह नौकरी कर रहे थे और अपने पैरों पर खड़े थे। इसलिए इस फैसले में उन्हें पूरे परिवार का साथ मिला। प्रवीण ने साल 2019 में खुद के दम पर 10 रुपये की कीमत पर एक थाली सेवा शुरू की। जल्द ही आस-पास के इलाके में उनकी यह रसोई मशहूर हो गई। उनकी रसोई में खाना खाने वाले लोगों के साथ, सेवा देने वाले लोग भी जुड़ने लगे।  

कोरोना के समय जरूरतमंदों को खाना खिलाया

कोरोना के दौरान प्रवीण ने देखा कि कई लोगों के पास काम नहीं था, इसलिए उनके पास देने के लिए 10 रुपये भी नहीं थे। प्रवीण ने कोरोना के बाद 10 रुपये की जगह एक रुपये में ही खाना देना शुरू किया। 

प्रवीण का मानना है कि वह एक रुपये इसलिए लेते हैं, ताकि किसी के स्वाभिमान को ठेस न पहुचें। आज प्रवीण की यह पहल एक चैरिटेबल ट्रस्ट बन गई है और देश भर से लोग उनके साथ जुड़ चुके हैं।  

आप भी उनके इस नेक काम में जुड़कर लोगों की सेवा कर सकते हैं। आप उन्हें 92666 82000 पर कॉल करके मदद पहुंचा सकते हैं।  

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