उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहनेवाले सुनील सोम ने 7 साल पहले प्राकृतिक खेती को अपनाया था। उन्होंने खुद ही अपना एक गुड़ प्लांट लगाया हुआ है और उसमें ही शुद्ध प्राकृतिक गुड़ बनाते हैं।
कभी मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले पवित्रा और रिनास आज खेतों में काम करते हैं और उन्हें यह मेहनत करने में मज़ा आ रहा है। सबसे अच्छी बात है कि आज वे एक हेल्दी लाइफस्टाइल जी रहे हैं।
कर्नाटक की रहने वाली रोजा रेड्डी ने ऑर्गेनिक खेती के लिए अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़ दी। अपनी बंजर ज़मीन पर ऑर्गेनिक खेती करने का फैसला किया और आज इस क्षेत्र में न केवल महारत हासिल की है, बल्कि हर साल करोड़ रुपये भी कमा रही हैं।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में जन्मे चंद्रशेखर पांडे अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ रोज़गार की तलाश में सपनों की नगरी मुंबई में जा बसे. शहर में वह अपने सभी अरमान पूरे करते हुए तरक्की कर रहे थे, लेकिन इस बीच गांव और अपनी मिट्टी के लिए लगाव भी बढ़ता रहा। जानें 22 साल बाद आख़िर ऐसा क्या हुआ कि नौकरी छोड़कर वह वापस गांव लौट आये.
सूरत के पास, अंभेटी गांव के रहनेवाले कमलेश पटेल ने साल 2015 में खुद जैविक खेती को अपनाया और गांव के कई दूसरे किसानों के लिए जैविक खाद बनाकर उन्हें भी जीरो बजट खेती सिखाई।
जयपुर में रहने वाले 45 वर्षीय प्रतीक तिवारी ने MNC की नौकरी छोड़ पोर्टेबल फार्मिंग सिस्टम का बिजनेस शुरू किया है, जिसके तहत वह देश के 25 से अधिक शहरों में 1500 से अधिक घरों को खेती से जोड़ चुके हैं।
पहले जहां पारंपरिक खेती से घर का गुजारा मुश्किल से चलता था, वहीं आज अपनी मेहनत और कुछ नए प्रयासों की बदौलत लाखों कमा रहे हैं, महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान तुकाराम गुंजल।
हरियाणा में फतेहाबाद के रहने वाले शिक्षक प्रमोद गोदारा और उनकी पत्नी, ASI चंद्र कांता पिछले ढाई-तीन सालों से जैविक खेती कर रहे हैं और अपने खेतों पर 'एग्रो-टूरिज्म' को विकसित कर रहे हैं।