Powered by

Latest Stories

HomeTags List jungle

jungle

दो दोस्तों ने जंगल के बीच बनाए मिट्टी के घर व ट्री हाउस, सस्टेनेबल ट्रैवल को दे रहे बढ़ावा

पगडंडी सफारीज़ के को-फाउंडर्स मानव खंडूजा और श्यामेंद्र सिंघारे ने प्रकृति से लगाव और प्यार के चलते साल 1986 में मध्य प्रदेश के पन्ना नेशनल पार्क में कुछ टेंट्स लगाकर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी और आज यह Pugdundee Safaris Camp एक या दो नहीं, बल्कि हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसी 7 अलग-अलग जगहों पर जगलों के बीचो बीच बने हैं।

खेजड़ी पर 'ट्रीहाउस' और 2000 पेड़, थीम पार्क से कम नहीं इस रिटायर्ड फौजी का खेत

By निशा डागर

राजस्थान के नागौर जिला स्थित सिरसूं गाँव में रहनेवाले 50 वर्षीय रेंवत सिंह राठौड़ के खेत में 2000 से भी ज्यादा पेड़-पौधे हैं। उन्होंने एक खेजड़ी के पेड़ पर ट्रीहाउस भी बनाया है।

पंजाब: अमेरिका से लौटकर शुरू की प्राकृतिक खेती, 17 परिवारों तक पहुंचा रहे हैं जैविक भोजन

By निशा डागर

मोहाली, पंजाब के रहने वाले 57 वर्षीय किसान, चरणदीप सिंह अपनी सात एकड़ जमीन पर गेहूं, चावल, दाल, मौसमी सब्जियां, मसाले और कई तरह के फल उगा रहे हैं। कुदरती तरीकों से खेती करने के कारण, उनके खेतों में 50 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी आते हैं।

अमृतसर: IRS रोहित मेहरा की ट्री एम्बुलेंस, जो करती है पेड़ों के 32 रोगों का ट्रीटमेंट

जैसे इंसानों और जानवरों के लिए डॉक्टर और अस्पताल होते हैं ठीक उसी तरह अमृतसर, पंजाब में IRS ऑफिसर रोहित मेहरा ने पेड़-पौधों के लिए ट्री एम्बुलेंस और अस्पताल की शुरुआत की है।

उत्तराखंड के 78 वर्षीय पूर्व IAF पायलट स्टीव लाल ने दिन-रात संघर्ष कर बचाया 140 एकड़ जंगल

By निशा डागर

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में 140 एकड़ में फैले अपने 'जिलिंग एस्टेट' की देखभाल के लिए 78 वर्षीय स्टीव लाल, भारतीय वायु सेना की नौकरी छोड़ कर वापस आ गए थे और तब से वह यहां पर लगाए अपने बाग, जंगल और जीव-जंतुओं की देखभाल कर रहे हैं।

ओडिशा: अपनी जेब से पैसे खर्च कर, उगाएं 20 हरे-भरे जंगल

By निशा डागर

ओडिशा के जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा जिले के गांवों में रहने वाले इंजीनियर, अमरेश नरेश ने पिछले 25 सालों में 20 मिनी जंगल उगाएं हैं।

बंजर ज़मीन से घने जंगल तक: जानिए कैसे इस शख्स ने लगा दिए 1 करोड़ से भी ज्यादा पेड़-पौधे

By निशा डागर

तमिलनाडु के पुथुराई गाँव के पर्यावरणविद डी. सरवनन पिछले 25 सालों से अरण्य जंगल को संवारने और सहेजने का काम कर रहे हैं!

'ठेंगापाली': जानिए कैसे इस एक हथियार से 600 एकड़ जंगलों को बचाया है इस एक शख्स ने

By निशा डागर

आठवीं की पढ़ाई के बाद दामोदर गाँव से बाहर पढ़ने के लिए गए। अपनी पढ़ाई पूरी कर जब वह गाँव लौटे तो उन्होंने देखा कि जहाँ हरे-भरे पेड़ हुआ करते थे, अब वहां सिर्फ ठूंठ हैं। बस उसी दिन से उन्होंने जंगल की रक्षा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया!

हर मायने में आत्मनिर्भर हैं पातालकोट के जंगलों के आदिवासी, सिर्फ नमक खरीदने आते हैं बाहर

पातालकोट की जलवायु इतनी सरल और सुगम है कि आपका यहीं बसने का मन करेगा। वनों से आती ठंडी हवाएं, कम धूप आने के कारण ठंडक का बना रहना, खेती के लिए मिट्टी, पहाड़ों की पतली-पतली दरारों से प्राकृतिक रूप से छनकर आता मिनरल वाटर, नजदीक बहती दूधी नदी और क्या चाहिए जिंदगी जीने के लिए!

उत्तराखंड के इस सरकारी स्कूल को इस शिक्षक ने बनाया 'पहाड़ का ऑक्सफोर्ड'!

By Sanjay Chauhan

अब तक 40 हजार से अधिक पेड़ लगा चुके रुद्रप्रयाग जनपद के राजकीय प्राथमिक विद्यालय, कोट तल्ला के शिक्षक सतेंद्र सिंह भंडारी ने पर्यावरण संरक्षण का जो अभियान शुरू किया, वह आज भी जारी है।