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Corona Heroes

अपनों को खोने के बाद अंतिम संस्कार में न आएं मुश्किलें, इसी का समाधान करते हैं ऋषभ

परिवार के किसी सदस्य के अंतिम संस्कार के लिए, बिना किसी परेशानी और ज़्यादा समय लगाए सारी व्यवस्था करने में लोगों की मदद कर रहा है दिल्ली का स्टार्टअप 'लास्ट जर्नी'।

टीचर की नौकरी गई तो बन गए किसान, घर पर ही मोती उगाकर शुरू कर दिया काम

कम निवेश और कम देखभाल में ज़्यादा मुनाफ़े के लिए मोती की खेती कर रहे अजमेर, रसूलपुरा गांव के 41 वर्षीय रज़ा मोहम्मद ने प्रयोग के तौर पर एक छोटी सी शुरुआत की थी, लेकिन आज वह इससे लाखों कमा रहे हैं।

मुंबई, इंदौर, हैदराबाद और दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए, इन नंबरों पर कॉल करें

By प्रीति महावर

अगर आप मुंबई, इंदौर, हैदराबाद या दिल्ली में कहीं रहते हैं और आपको Covid19 मरीजों के लिए, ऑक्सीजन सिलेंडरों की तलाश है, तो इन नंबरों पर कॉल करें।

कोरोना से जंग जीतने के बाद भी मालिक ने नहीं रखा काम पर, तो चेन्नई पुलिस ने दिलाया काम!

By Shashi Shekhar

चेन्नई के केके नगर के एक कॉम्प्लेक्स में 10 साल से अधिक समय तक घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली अम्मा इस वायरस से जूझने के बाद लगभग एक महीने तक काम पर नहीं जा सकीं। यह काम उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत था।

दिल्ली: फुटपाथ और झुग्गी के बच्चों को ऑफिस के लंचटाइम में खाना खिलाते हैं यह अकाउंटेंट

कैंटीन में वह सूखा राशन मुहैया कराते हैं और फिर जब खाना तैयार हो जाता है तो एक घंटे के लंच टाइम में उसे स्लम में बांटने के लिए निकल पड़ते हैं।

कोविड-19 : रोगियों की सेवा के लिए अफ्रीका की आरामदायक ज़िंदगी छोड़ मुंबई लौटीं यह डॉक्टर!

By पूजा दास

डॉ. दिव्या सिंह कहती हैं, "संकट के समय अगर मैं अपने देश की मदद नहीं कर सकती हूं तो मेरे डॉक्टर होने का क्या मतलब है।" डॉ दिव्या लोगों की सेवा में दिन-रात लगी हुई हैं। वह पूरा दिन पीपीई किट पहनती हैं इसके लिए उन्होंने अपने बाल तक कटवा लिए हैं।

सूरत के 26,000 घरों से 5 अतिरिक्त रोटियां मिटा रही हैं हज़ारों प्रवासियों की भूख!

By पूजा दास

लॉकडाउन के कारण, भोजन और पैसे की कमी झेल रहे लाखों प्रवासी श्रमिक अपने परिवार से दूर कहीं और फंसे हुए हैं। ऐसे में सूरत का एक एनजीओ एक अलग और अनोखे तरीके से उनकी मदद के लिए सामने आया है। आईए जानते हैं कैसे।

500 ज़रूरतमंद परिवारों तक राशन और पशुओं तक मुफ्त चारा पहुंचा रहा है यह किसान परिवार

लॉकडाउन में पशुओं का चारा की सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। गांव में पशुओं को परेशानी न हो इसके लिए वह गेंहू की फसल का भूसा आदि बांट रहे हैं। इस काम में उनका अबतक करीब ढाई लाख रुपया खर्च हो चुका है।