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सूरत के 26,000 घरों से 5 अतिरिक्त रोटियां मिटा रही हैं हज़ारों प्रवासियों की भूख!

लॉकडाउन के कारण, भोजन और पैसे की कमी झेल रहे लाखों प्रवासी श्रमिक अपने परिवार से दूर कहीं और फंसे हुए हैं। ऐसे में सूरत का एक एनजीओ एक अलग और अनोखे तरीके से उनकी मदद के लिए सामने आया है। आईए जानते हैं कैसे।

सूरत में सांघाट रेजीडेंसी की रहने वाली अनिला के दिन की शुरुआत प्रवासी कामगारों के लिए रोटियां बनाने के साथ होती है। ये लोग अनिला के लिए अब ‘नया परिवार’ हैं।

हालांकि, इससे पहले अनिला की मुलाकात इनमें से किसी से नहीं हुई थी, लेकिन लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से ही अनिला अपने नए परिवार के लिए रोटियां बना रही हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए अनिला बताती हैं, “ये ज़्यादा बड़ा काम नहीं है। मुझे मुश्किल से दस रोटियां ज़्यादा बनानी पड़ती है। लेकिन यह छोटा सा काम करके मुझे खुशी मिलती है कि कम से कम कुछ लोगों को खाना मिल पा रहा है।”

अनिला की तरह, उनके बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स में लगभग 30 परिवार और शहर भर में 26,000 परिवार एक गैर-सरकारी संगठन, छनयदो, द्वारा शुरू की गई एक पहल ‘रोटी सेवा’ के तहत जरूरतमंदों के लिए रोटियां तैयार कर रहे हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए एनजीओ के अध्यक्ष, भरत शाह कहते हैं, “हर साल नौकरी की तलाश में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान सहित लगभग 21 राज्यों से श्रमिक सूरत आते हैं। देश भर में लॉकडाउन होने और कारखानों को बंद करने के कारण, हजारों प्रवासी बिना किसी नौकरी या आवश्यक वस्तुओं के शहर में फंस गए हैं। और जैसा कि आवाजाही पर पाबंदी है बहुत कम लोग हैं जो इनकी कुछ मदद कर सकते हैं। इसलिए हम इस पहल के साथ आए जिसमें न तो समय लगता है और न ही यह महंगी है।”

27 मार्च को एनजीओ ने सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप और तमाम जानने वालों की मदद से मदद के लिए अपील भेजी। शुरूआत में, करीब 20 परिवार मदद के लिए आगे आए और अब इन परिवारों की संख्या बढ़ कर 1,000 हो गई है।

एनजीओ का दावा है कि वह हर दिन करीब 1 लाख रोटियां इकट्ठा करते हैं और प्रवासियों को वितरित करते हैं। खाना पूरा करने के लिए यह एनजीओ सब्ज़ी भी तैयार करता है।

घरों के अलावा, एनजीओ ने इसी तरह की रोटी संग्रह पहल जारी करने के लिए 129 अन्य संगठनों को भी शामिल किया है। ऐसे लोगों, जिनकी रसोई के प्रावधानों तक पहुंच नहीं, उन्हें भरत और उनकी टीम चूल्हा, घी, आटा, बर्तन प्रदान करती है।

कैसे करता है यह काम

इच्छुक नागरिक एक ऑनलाइन गूगल फ़ॉर्म भरकर वॉलन्टियर कर सकते हैं, फेसबुक के माध्यम से एनजीओ से संपर्क कर सकते हैं या सीधे एनजीओ के सदस्यों को कॉल कर सकते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल और दूसरों की सुरक्षा को बनाए रखने की कोशिश को ध्यान में रखते हुए रेड ज़ोन में रहने वाले वॉलन्टियरों को शामिल नहीं किया जाता है।

क्षेत्रवार कलेक्शन ड्यूटी के आधार पर, गैर सरकारी संगठन के सदस्य हर सुबह 1,500 स्थानों पर अपार्टमेंट में जाते हैं, वहां से रोटियां लेकर एनजीओ की रसोई तक पहुंचाते हैं।

यहां, वे भोजन के सैंकड़ों पैकेट बनाते हैं। हर पैकेट में चार रोटियां और 180 ग्राम सब्ज़ी होती हैं।
एनजीओ के सदस्य विपुल कहते हैं, “हमारे पास लगभग 150 लोगों की एक टीम है, जिसमें रसोइया, घरेलू मदद और पहल चलाने वाले स्वयंसेवक शामिल हैं। पूरी प्रक्रिया के दौरान, हम मास्क और दस्ताने के साथ सख्त स्वच्छता सुनिश्चित करते हैं। हमने हर बिल्डिंग में एक व्यक्ति को नियुक्त किया है ताकि यह सुनिश्चत किया जा सके कि रोटिंयां पैक हो गई हैं और समय पर बिल्डिंग एंट्रेंस पर रख दी जाए। इस तरीके से शारीरिक संपर्क के बिना यह काम होता है।”

सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए एनजीओ ने सूरत नगर निगम (एसएमसी) से पास लिया है।

Hunger Heroes

लॉकडाउन के कारण, हज़ारों श्रमिक अपने परिवार से दूर फंसे हुए हैं। उचित भोजन की कमी और न्यूनतम बचत के कारण कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं, जिनमें मौतें भी शामिल हैं।

सरकारों के साथ-साथ यह छनयदो जैसे गैर-सरकारी संगठन हैं जो अपने सरल और नेक कदम के ज़रिए सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयास कर रहे हैं।

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भरत कहते हैं, “एक देश के रूप में, हर बार आपदा के दौरान हमने अपने नागरिकों द्वारा अनुकरणीय प्रयासों को देखा है, और COVID-19 लॉकडाउन कोई अपवाद नहीं है। मेरे लिए, असली हीरो दिल में करुणा भाव रखने वाले वे परिवार हैं, जो अजनबियों के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं और जो एक बड़ा अंतर बना रहा है। मैं सभी से अपील करता हूं कि वे जरूरतमंदों की मदद करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार जो कुछ भी कर सकते हैं, वह ज़रूर करें।”

वॉलन्टियर करने या एनजीओ से संपर्क करने के लिए यहां क्लिक करें

मूल लेख: गोपी करेलिया


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