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खाट के नीचे एक किलो मशरूम उगाकर की थी शुरुआत, आज हर महीने कमातीं हैं 90 हज़ार रूपये

By पूजा दास

यह बीना की ही मेहनत है, जिस कारण अब मशरुम की खेती उनके 105 पड़ोसी गाँवों में भी मशहूर हो गई है। इन इलाकों से बीना ने करीब 10,000 ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग दी है।

जैविक खेती, सोलर तकनीक और प्रोसेसिंग के ज़रिए 650 किसानों का जीवन संवार रही हैं नेहा

By निशा डागर

किसान जिस खुबानी को पहले 190 रुपये किलो तक बेचते थे, अब वही प्रोसेसिंग के बाद 650 रुपये किलो तक जाता है!

गाली सुनकर भी आपा नहीं खोया, सुनिए सेवा के प्रति समर्पित एक आईपीएस अधिकारी की कहानी

नवादा के 8 मजदूर सूरत, गुजरात में फंसे हुए थे और 3 तीन दिन से भूखे थे। उन्होंने यह सोच कर गाली दी कि इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया जायेगा और वहां दो वक़्त का भोजन तो मिलेगा।

आमदनी बहुत नहीं, पर लावारिस बेज़ुबानों को 20 वर्षों से खाना खिलाते हैं सुजीत

बेजुबानों की भावना हम नहीं समझेंगे तो फिर कौन सुनेगा। हमने उन्हें प्रकृति के विपरित मनुष्य पर निर्भर बना दिया है। आवारा जैसा नाम दे दिए हैं, जो कि बहुत ही गलत भाव है।

अंग्रेजों को मात देने के लिए इस सेनानी ने काट दिया था अपना ही हाथ!

By निशा डागर

हाथ काटने के बाद भी 80 वर्षीय वीर कुंवर का संग्राम नहीं रुका। उन्हें आराम करने की हिदायत मिली लेकिन फिर भी उन्होंने अंग्रेजों से अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध किया!

कोविड-19: श्रमिकों और जरूरमंदों की सहायता कर रहे हैं देशभर के युवा, आप भी दे सकते हैं साथ

कोरोना महामारी के दौर में सबसे अधिक नुकसान श्रमिक वर्ग का हुआ है। इन सभी तक मदद पहुंचाने के लिए कुछ युवा और उनकी संस्थाएं बढ़-चढ़कर आगे आ रही हैं।देश के अलग-अलग हिस्सों में भागीरथ प्रयास में जुटे ऐसे ही कुछ युवाओं के बारे में हम यहां बता रहे हैं।

#गार्डनगिरी: गर्मियों में कैसे रखें पेड़-पौधों का ख्याल, जानिए एक्सपर्ट की सलाह!

By निशा डागर

पिछले 45 सालों से अपने घर में गार्डनिंग कर रहे अशोक कुमार श्रीवास्तव की छत पर आज 100 से ज्यादा किस्म के देशी और विदेशी पेड़-पौधें फल फूल रहे हैं!

तरबूज़ की खेती ने बनाया लखपति, 200 लोगों को दे रहे हैं रोजगार

उनकी एक सीजन में 100 ट्रक से अधिक तरबूज की बिक्री होती है और एक सीजन की कमाई की बात करें तो वह 40 लाख रुपए से अधिक है।

बिहार के इस गाँव में लोगों ने अपने प्रयास से शुरू किया क्वारंटीन सेंटर

By पुष्यमित्र

यहां बाहर से आये मजदूरों के रहने, खाने-पीने, साफ-सफाई और स्वास्थ्य जांच की मुकम्मल व्यवस्था है।