कोरोना काल में जब थाली में दाल को भी तरस रहा था पूरा गांव, इन महिला किसानों ने छोटी सी जमीन पर किचन गार्डन लगा कर पूरे साल के लिए फल, सब्जियां और जड़ी बूटियों का इंतजाम किया और अपने पड़ोसियों की मदद भी की।
बिहार के निक्की कुमार झा और रश्मि झा के स्टार्टअप, सप्तकृषि ने एक उपकरण बनाया है - 'सब्जीकोठी'। इसकी मदद से किसान अपनी उपज को एक महीने तक ताज़ा रख सकते हैं।
बिहार के समस्तीपुर निवासी किसान, सुधांशु कुमार 200 एकड़ में खेती करते है, जहाँ 35 एकड़ खेत, पूरी तरह से ऑटोमेटेड हैं। उन्होंने अपनी 60 एकड़ जमीन पर, 28 हजार फलों के पेड़ उगाएं हैं। सुधांशु की सालाना कमाई 80 लाख रुपये है।
बिहार के पश्चिमी चंपारण में रहने वाले, नीतिल भारद्वाज नौकरी छोड़कर, मोती पालन और मछली पालन कर रहे हैं। उन्होंने 'भारद्वाज पर्ल फार्म एंड ट्रेनिंग सेंटर' के नाम से अपना ट्रेनिंग सेंटर भी शुरू किया है, जहाँ लॉकडाउन में बेरोज़गार हुए लोगों को मुफ्त ट्रेनिंग दी गयी।
बिहार के मधुबनी में रहने वाले सचिन कुमार ने 2018 में अपने स्टार्टअप 'सत्तुज़' की शुरुआत की, जिसके ज़रिए वह सत्तू की प्रोसेसिंग कर प्रोडक्ट्स बना रहे हैं!
बिहार के रहने वाले दो भाईयों ने नौकरी छोड़ ‘एग्रीफीडर’ नामक स्टार्टअप शुरु किया है। दोनों भाईयों की यह जोड़ी किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित करती है ताकि इसका इस्तेमाल मसाला-मिक्स हर्बल चाय में हो और किसान ज़्यादा मुनाफा कमा सकें।