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कृषि-कचरे से मात्र 3 महीने में बना दिया कोविड केयर सेंटर, बिजली पर नहीं निर्भर

By प्रीति टौंक

उत्तर प्रदेश की आर्किटेक्ट श्रीति पांडे ने कृषि-कचरे से पंजाब और बिहार में मात्र 3 महीने में दो कोविड केयर सेंटर बना दिए।

बिहार: भाई-बहन की जोड़ी ने बनाया सोलर -स्टोरेज, कीमत सिर्फ 10 हज़ार रुपये

By निशा डागर

बिहार के निक्की कुमार झा और रश्मि झा के स्टार्टअप, सप्तकृषि ने एक उपकरण बनाया है - 'सब्जीकोठी'। इसकी मदद से किसान अपनी उपज को एक महीने तक ताज़ा रख सकते हैं।

खेत आते हैं, फिल्म देखते हैं, एक बटन दबाकर करते हैं खेती और कमाई लाखों में

By पूजा दास

बिहार के समस्तीपुर निवासी किसान, सुधांशु कुमार 200 एकड़ में खेती करते है, जहाँ 35 एकड़ खेत, पूरी तरह से ऑटोमेटेड हैं। उन्होंने अपनी 60 एकड़ जमीन पर, 28 हजार फलों के पेड़ उगाएं हैं। सुधांशु की सालाना कमाई 80 लाख रुपये है।

एक एकड़ में मोती और मछली पालन का अनोखा मॉडल, खुद कमाए लाखों, बेरोज़गारों को दिया रोज़गार

By निशा डागर

बिहार के पश्चिमी चंपारण में रहने वाले, नीतिल भारद्वाज नौकरी छोड़कर, मोती पालन और मछली पालन कर रहे हैं। उन्होंने 'भारद्वाज पर्ल फार्म एंड ट्रेनिंग सेंटर' के नाम से अपना ट्रेनिंग सेंटर भी शुरू किया है, जहाँ लॉकडाउन में बेरोज़गार हुए लोगों को मुफ्त ट्रेनिंग दी गयी।

बिहार: नौकरी छोड़ शुरू किया स्टार्टअप ताकि सत्तू को मिले देश-विदेश में पहचान

By निशा डागर

बिहार के मधुबनी में रहने वाले सचिन कुमार ने 2018 में अपने स्टार्टअप 'सत्तुज़' की शुरुआत की, जिसके ज़रिए वह सत्तू की प्रोसेसिंग कर प्रोडक्ट्स बना रहे हैं!

बिहार: किसानों को लॉकडाउन में सिखाया लेमनग्रास उगाना, उसकी चाय बनाकर कमाएं 2.5 लाख रूपये

By पूजा दास

बिहार के रहने वाले दो भाईयों ने नौकरी छोड़ ‘एग्रीफीडर’ नामक स्टार्टअप शुरु किया है। दोनों भाईयों की यह जोड़ी किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित करती है ताकि इसका इस्तेमाल मसाला-मिक्स हर्बल चाय में हो और किसान ज़्यादा मुनाफा कमा सकें।

बिहार का यह किसान उगा रहा है 'मैजिक धान', इसके चावल पकते हैं ठंडे पानी में

By निशा डागर

बिहार के पश्चिमी चंपारण के किसान विजय गिरी पिछले तीन साल से काला गेहूँ, काला धान और मैजिक धान की खेती कर रहे हैं!

खाट के नीचे एक किलो मशरूम उगाकर की थी शुरुआत, आज हर महीने कमातीं हैं 90 हज़ार रूपये

By पूजा दास

यह बीना की ही मेहनत है, जिस कारण अब मशरुम की खेती उनके 105 पड़ोसी गाँवों में भी मशहूर हो गई है। इन इलाकों से बीना ने करीब 10,000 ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग दी है।