जितना आप पटाखों पर खर्च करते हैं, उतने पैसे में आप किसी ज़रूरतमंद को कपड़े, मिठाइयाँ आदि खरीदकर दे सकते हैं। इससे पर्यावरण के साथ-साथ समाज का भी भला होगा।
अहमदाबाद में अब तक लगभग 130 महिलाओं को ड्राइविंग सिखाई जा चुकी है और इस बार के बैच में 100 महिलाएं एनरोल हुई हैं। इनमें से 50 से ज़्यादा महिलाएं प्रोफेशनली काम भी कर रही हैं।
लोग जब तक झीलों में कचरा डालते रहेंगे, हम साफ़ करते रहेंगे। मैं लोगों से कहता हूँ कि यह श्रमदान आप करवा रहे हैं, अगर आप झीलों को गन्दा नहीं करेंगे तो हमें इसकी ज़रुरत नहीं पड़ेगी। - हाजी सरदार मोहम्मद।
अपने देश-दुनिया के असल सौंदर्य को देखने-समझने, उसकी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और सीधी-सरल जीवनचर्या से मिलने के लिए गाँव-देहात आज भी सबसे आदर्श मंजिल हैं। और शहर से गांव तक के इस सफर में क्या पता कब-कहाँ आपका अपना अतीत मिल जाए! कौन जाने, किस मोड़ पर कोई ठहरा-सा पल दिख जाए।
'पक्के घर' का कांसेप्ट हमारे यहां सिर्फ ईंट और सीमेंट से बने घरों तक ही सीमित है जबकि पक्के घर का अभिप्राय ऐसे घर से होना चाहिए, जो कि पर्यावरण के अनुकूल हो और जिसमें प्राकृतिक आपदाओं को झेलने की ताकत हो जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि। नेपाल में आये भूकंप के दौरान सिर्फ़ इस तकनीक से बने घर ही थे जो गिरे नहीं!
योगेश के घर वाले चाहते थे कि वे सरकारी नौकरी की तैयारी करे लेकिन योगेश ने खेती को चुना और 7 किसानों के साथ मिलकर जीरे की आर्गेनिक खेती शुरू की। आज उनका यह सफर 3000 किसानों के साथ जापान और अमेरिका तक पहुँच चुका है!
"ब्रेक टाइम में मुझे कार में ही आईवी ड्रिप दी गयी," यह कहना है सौम्या शर्मा का। सुनने की क्षमता न होते हुए भी उन्होंने परीक्षा में किसी तरह का आरक्षण नहीं लिया!