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मनाएं देसी दिवाली, दोस्तों को प्लास्टिक में नहीं, केले के पत्तों में दें तोहफ़े

By अर्चना दूबे

क्यों न यह दिवाली, प्रकृति वाली मनाई जाए। अगर आप पहले से ही, गिफ्ट रैपिंग के स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों की तलाश कर रहे हैं, तो हमारे पास आपके लिए एक बेहतरीन उपाय है।

दुर्गा पूजा: दर्दभरी इस मूर्ति के पीछे है किस मूर्तिकार का हाथ, क्यों हैं माँ उदास

By अर्चना दूबे

जानिये, दक्षिण कोलकाता में बेहाला बरिशा क्लब पंडाल की मार्मिक माँ दुर्गा की मूर्तियों के पीछे है किसकी सोच।

महालया: इस बंगाली पर्व पर 90 सालों से प्रसारित किया जा रहा है भद्रा का कार्यक्रम, जानें क्यों

By द बेटर इंडिया

बीरेंद्र कृष्णा भद्रा एक प्रमुख बंगाली नाटककार थे। उनके द्वारा जाप किए गए 'चंडीपाठ' ने, न जाने कितनी पीढ़ियों को महालया के दिन, सुबह-सुबह 4 बजे बिना किसी झुंझलाहट के जगाया है।

मिठाइयां यूपी की, स्वाद तमिलनाडु का, खुश्बू पहुंची विदेशों तक

By पूजा दास

तमिलनाडु के तंजावुर में साल 1949 में बनी ‘बॉम्बे स्वीट्स’ नामक दुकान में, रोजाना लगभग चार हजार ग्राहक आते हैं। यहां 200 प्रकार की मिठाइयां और सात तरह के स्वादिष्ट स्नैक्स मिलते हैं।

मुंबई की इस सोसाइटी में, लोगों ने फूलों के कुछ आसन तरीकों से बनाएं, होली के ऑर्गेनिक रंग

By पूजा दास

मुंबई के कांदिवली ईस्ट में रिवियेरा टावर्स में रहने वाले लोगों ने, सोसाइटी के सभी घरों तथा मंदिरों से फूल-पत्तियां एकत्र कर, कुछ बेहद आसन तरीकों से ऑर्गेनिक रंग बनाये हैं। आप जानना चाहेंगे कैसे? तो पढ़िए ये लेख।

राजस्थान का एक गाँव, जहाँ सालाना इक्ट्ठा होते हैं 10 हजार से भी ज्यादा कलाकर!

मोमसार केवल दीपावाली तक ही सीमित नहीं है। साल भर में विनोद की यह संस्था अलग-अलग त्योहारों पर 34 उत्सवों का आयोजन करवाती है। जिससे साल भर क्षेत्रीय कलाकारों के पास काम रहता है।

इस दिवाली खरीदिये ये ख़ास पटाखे, जिनसे धुंआ नहीं सिर्फ़ मिठास घुलेगी!

By निशा डागर

जितना आप पटाखों पर खर्च करते हैं, उतने पैसे में आप किसी ज़रूरतमंद को कपड़े, मिठाइयाँ आदि खरीदकर दे सकते हैं। इससे पर्यावरण के साथ-साथ समाज का भी भला होगा।

इस दिवाली करें बदलाव की शुरुआत, हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए गिफ्ट करें ये ख़ास तोहफे!

By निशा डागर

अलग-अलग संगठनों से आने वाले यह सभी प्रोडक्ट्स गरीब तबके से आने वाले लोग, ख़ासकर कि महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे हैं।

कुमाऊंनी होली! जब उत्‍तराखंड का पर्वतीय समाज झूम उठता है शास्‍त्रीय रागों और ठुमरी की तान पर!

By अलका कौशिक

इधर पूस का पहला इतवार आता है... और उधर कुमाऊं के आंगनों में होली की सुगबुगाहट होने लगती है। हैरान हैं न आप, कि ऐन सर्दी में कैसी होली? चलो चलते हैं आज उत्तराखंड के पहाड़ों की तरफ़, जहां होली एक या दो रोज़ नहीं बल्कि पूरे ढाई—तीन महीने चलने वाला त्यौहार है।

कोलकाता की पहली दुर्गा-पूजा, जिसकी आयोजन समिति के सदस्य हैं फुटपाथ पर रहने वाले बच्चे!

By निशा डागर

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बाघबाज़ार में पहली बार फूटपाथ पर गुजर-बसर करने वाले लोगों के बच्चों अपनी दुर्गा पूजा का आयोजन कर रहे हैं। इसका नाम उन्होंने 'फूटपाथेर दुर्गा पूजो' रखा है। इस आयोजन के सभी कार्य, मूर्ति बनाने से लेकर पंडाल सजाने तक, बच्चों द्वारा किये जा रहे हैं।