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"रात पर क्यों हो सिर्फ पुरुषों का अधिकार?" मिलिए पुणे की महिला बाउंसर्स से!

By तोषिनी राठौड़

'रणरागिनी' दीपा द्वारा बनाया गया देश का पहला महिला बाउंसर ग्रुप है, जो लोगों की सुरक्षा का ज़िम्मा उठाए हुए है।

भोपाल: पहले पॉकेट मनी से और अब सैलरी से, हर रविवार पौधे लगाते हैं ये बैंकर, कई बन चुके हैं पेड़!

By नीरज नय्यर

भोपाल की हरियाली बचाने के प्रति पूनम के जुनून का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बैंक में उन्हें सभी ‘ग्रीन गर्ल’ के नाम से बुलाते हैं।

26/11 में खोया बेटे-बहू को; तब से लड़ रही हैं मुंबई को सुरक्षित बनाने की जंग!

इस मुहीम की शुरुआत एक आरटीआई आवेदन से की गयी जिसमें यह सवाल किया गया था कि 'अधिकतम शहरों में सुरक्षा व्यवस्था मे कमी क्यों है?'

अब तक 3 लाख से भी ज़्यादा पौधे लगा चुका है भोपाल का यह ट्री-मैन; पेड़ बनने तक करता है देखभाल!

By नीरज नय्यर

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात आदि राज्यों में सुनील ने पौधारोपण किया है। आज उनके कई पौधे पेड़ बनकर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं।

देश का पहला जिला, जो है ओपन-ड्रेनेज सिस्टम से मुक्त, महिला आईएएस ने बदली तस्वीर!

By निशा डागर

स्थानीय नेताओं को स्वच्छता के काम में लगाने के लिए देवसेना ने पूरे क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का माहौल बना दिया ताकि सभी लोग अपने क्षेत्र को बेहतर बनाने के प्रयासों में जुट जाएं।

सरकारी नौकरी छोड़कर उड़ीसा के किसानों की ज़िंदगी बदल रही है यह IIT ग्रेजुएट!

By निशा डागर

'5 एल, यानी कि लर्निंग, लिविंग, लाइवलीहुड, लव और लाफ्टर को एक जगह, एक ही वक़्त पर एक ही काम से, एक साथ यदि आप कहीं महसूस कर सकते हैं तो वह है खेती।'

परफ्यूम, तेल से लेकर साइकिल और ग्रामोफ़ोन तक, इस उद्यमी ने रखी स्वदेशी उत्पादों की नींव!

By निशा डागर

उनके सभी रिकॉर्ड्स ब्रिटिश सरकार ने तबाह कर दिए। आज सिर्फ़ टैगोर के 'वन्दे मातरम' गीत की एक छोटी-सी रिकॉर्डिंग बची है!

पुराने टायर से मेज और पुरानी मेज से अलमारी, कबाड़ से बनाते हैं ट्रेंडी फर्नीचर!

By निशा डागर

आपके लिए जो पुरानी घिसी-पीटी अलमारी है, उसमें जेमीयन को टेबल या फिर सोफा नज़र आता है, तो वहीं हो सकता है कि वो पुराने कबाड़े में पड़े सोफे को अपसाइकिल करके कंप्यूटर टेबल का रूप दे दें।

'मैं धमकियों से नहीं डरता', मानव-मल उठाने को मजबूर 41,000 बंधुआ मज़दूरों को दिलाई सम्मानजनक ज़िन्दगी!

By निशा डागर

हमारे देश में कानून होने के बावजूद लोग अक्सर जागरूकता की कमी के चलते और प्रक्रिया न पता होने के कारण इस गैर-क़ानूनी प्रथा का शिकार बन जाते हैं।