गुजरात ग्रासरूट्स इनोवेशन ऑगमेंटेशन नेटवर्क में सीनियर मैनेजर का पद संभाल रहे अलज़ुबैर सैयद ने भारत के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में ईंधन की समस्या पर काम करते हुए 'सोलर कुकिंग अभियान' शुरू किया है। उन्होंने अब तक 100 से भी ज़्यादा गांवों में जाकर लोगों को सौर कुकर बनाना सिखाया है।
हाल ही में, यूपीएससी 2018 का परिणाम घोषित हुआ है और जम्मू में पूंछ जिले से इस परीक्षा को पास करने वाली डॉ. रेहाना बशीर, पहली लड़की हैं। साल 2016 में अपनी इंटर्नशिप पूरी होने के बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू की थी।
दिल्ली की रहने वाली एलीना जॉर्ज, 'सेकंड चांस' पहल के ज़रिए तिहाड़ जेल के जेल नंबर 5 के कैदियों के जीवन को सुधार रही हैं। TYCIA संगठन के साथ शुरू हुए इस अभियान को अब वे बड़े स्तर पर ले जाना चाहती हैं, जिससे भारत के हर एक जेल में यह अभियान शुरू हो सके!
66 वर्षीय हलधर नाग की कोसली भाषा की कविता पाँच विद्वानों के पीएचडी अनुसंधान का विषय भी है। इसके अलावा, संभलपुर विश्वविद्यालय इनके सभी लेखन कार्य को हलधर ग्रंथाबली -2 नामक एक पुस्तक के रूप में अपने पाठ्यक्रम।
राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में स्थित ग्राम पंचायत घमुड़वाली आज देश की स्वच्छ और हरित ग्राम पंचायतों में शामिल होती है। यहाँ के सरपंच राजाराम जाखड़ के नेतृत्व में गाँव में बहुत से विकास कार्य हुए हैं और आगे भी जारी हैं। इन विकास कार्यों को देखते हुए ही घमुड़वाली गाँव को निर्मल गाँव होने का सम्मान प्राप्त है।
सुहास लालिनाकेरे यथिराज, उत्तर-प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में जिला अधिकारी के पद पर नियुक्त हैं। हालांकि, एक प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ-साथ, सुहास एक बेहतरीन पैरा-एथलीट भी हैं। हाल ही में, उन्होंने पैरा-बैडमिंटन अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रौशन किया है!
2 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में जाने वाले IAF स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा पहले और एकमात्र भारतीय हैं। लगभग 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन, सलयुत 7 पर बिताए। हर साल, उनकी इस यात्रा की सालगिरह पर उन्हें अहमदाबाद से एक पानवाला बधाई के लिए ख़त भेजता है।
बेसहारा औरतों को करघों पर तालीम दी जाने लगी, तो इनके बच्चों की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी भी आपा ने खुद ओढ़ ली और वर्कशॉप के बाजू में ही अंग्रेज़ी मीडियम का साफरानी स्कूल खोला। अब माँएं दिनभर करघों पर काम करती हैं और निश्चिंत भी हो गई हैं कि उनके बच्चों का भविष्य स्कूल की दीवारों के बीच संवर रहा है।
गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाली छाया सोनावने सिलाई ट्रेनिंग सेंटर चलाती हैं। सिर्फ़ दसवीं तक पढ़ी छाया बेन ने गरीबी से लड़कर अपनी पहचान बनाई है। पिछले 31 सालों में उन्होंने 3, 000 से भी ज़्यादा लड़कियों को सिलाई करना सिखाया है और आज भी यह सिलसिला जारी है।
26 मार्च 1974 को गढ़वाल की गौरा देवी के नेतृत्व में ग्रामीण महिलाओं ने सरकार द्वारा लागू जंगलों की कटाई की नीति के विरोध में 'चिपको आंदोलन' की शुरुआत की। आज भी इतिहास में इस आंदोलन को देश के सबसे पहले पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन के तौर पर जाना जाता है!