मनीषा गरीबों में केवल कपड़े ही नहीं बांटतीं, बल्कि झुग्गी बस्तियों में जाकर छोटे बच्चों से उनके जन्मदिन पर केक भी कटवाती हैं। इस वजह से बच्चे उन्हें ‘केक वाली दीदी’ कहकर पुकारते हैं।
गाँवों की जनसंख्या में तकरीबन 40.51 करोड़ महिलाएं हैं। अगर हम इन ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बना सकें और ट्रेनिंग देकर छोटे-मोटे व्यवसाय से उन्हें जोड़ सकें तो ये आर्थिक विकास में मदद करेंगी।
दिन में 15 घंटे से भी ज़्यादा काम करने वाली श्वेता न सिर्फ़ महिलाओं के लिए बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो हालातों से घबराकर सच्चाई से भागने की कोशिश करता है।
स्कीइंग को हमेशा से ही पुरुषों का खेल माना जाता रहा। लेकिन वंदना ने स्कीइंग में बर्फीली ढलानों पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और इस खेल में पुरुषों के प्रभुत्व को चुनौती देकर महिलाओं के लिए उम्मीदों की नयी राह खोली।
लोक संगीत और लोक गीतों पर 50 साल का शोध और अनुभव से माधुरी अपने आप में एक शोध संस्थान कहलाने के लिए काफी हैं। राष्ट्रपति द्वारा लोक गीतों व लोक संगीत के संरक्षण के लिए काम करने वाली डॉ. माधुरी बड़थ्वाल को नारी शक्ति पुरस्कार-2018 से नवाज़ा गया।