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प्रेरक महिलाएं

इन 9 महिला खिलाड़ियों में से तय होंगे पद्म अवॉर्ड विजेता, जानिए इनका सफर!

By भरत

भारतीय खेलों के इतिहास में पहली बार, युवा मामले और खेल मंत्रालय ने जिनके नाम इस पुरस्कार के लिए भेजे हैं, वे सभी एथलीट महिलाएं हैं।

जब 'मानव कंप्यूटर' शकुंतला देवी ने पति के लिए लड़ी समलैंगिक अधिकारों की लड़ाई!

By निशा डागर

समलैंगिकता पर लिखी किताब में उन्होंने लिखा है, "इस किताब को लिखने के लिए मेरी योग्यता सिर्फ यही है कि मैं एक इंसान हूँ।"

15 की उम्र में शादी, 18 में विधवा : कहानी भारत की पहली महिला इंजीनियर की!

जब उनके पति की मृत्यु हुई तब उनकी बेटी सिर्फ 4 माह की थी, अपनी बेटी को वह रिश्तेदार के यहाँ छोड़कर काम पर जाया करती थीं।

पिता से सीखा ऑर्गेनिक अचार बनाने का गुर, नौकरी छोड़ कर शुरू किया स्टार्टअप!

By निशा डागर

आज, उनके फार्म में 13 लोग काम करते हैं जिनमें से 10 महिलाएं हैं और ये सभी न सिर्फ जैविक खेती करना बल्कि अचार बनाना भी जानती हैं।

मिलिए 3 साल में 1 लाख किलोमीटर की अकेली यात्रा करने वाली इस महिला यात्री से!

"महिलाओं को सिर्फ साक्षर होने की ज़रुरत है, स्वावलम्बी तो वह खुद हो जाएंगी। अपनी बेटियों को अकेले यात्रा करना सिखाएं, उनमें इतना साहस आ जाएगा कि वे जीवनभर सर उठाकर जी सकेंगी।" - डॉ. कायनात काज़ी

पढ़िए 76 साल की इस दादी की कहानी जिसने 56 की उम्र में की बीएड, खोला खुद का स्कूल!

''माँ के देहांत के कारण बचपन में ही नन्हें कंधों पर रसोई और घर के कामों की जिम्मेदारी आ गई। 15 वर्ष की उम्र तक स्कूल का दरवाजा नहीं देखने वाली इस महिला के लिए काला अक्षर भैंस बराबर था। ज़िद करते हुए नन्हीं बच्चियों के साथ साड़ी पहने हुए ही स्लेट पकड़कर अक्षर ज्ञान लिया। 18 वर्ष की होने तक शादी कर दी गई। ससुराल में पढ़ाई-लिखाई पर पाबंदी के बावजूद पढ़ाई का क्रम जारी रखा। प्राइवेट कैंडिडेट के तौर पर घर पर पढ़ाई कर किसी तरह ग्रेजुएशन और फिर अपनी बेटी के साथ ही बीएड किया। आज खुद का स्कूल चला रही है। शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बनकर उभरी है।''

बुजुर्गों की माधुरी माँ, जो बच्चों की तरह करती हैं उनकी देखभाल!

By नीरज नय्यर

‘अपना घर’ केवल नाम का ही ‘अपना’ नहीं है। यहाँ रहने वाले बुजुर्गों को हर वो आज़ादी है, जो शायद कभी उन्होंने अपने घर में महसूस की होगी।

बिहार: खुद नहीं बन पाई खिलाड़ी पर 3 हज़ार लड़कियों को फुटबॉल सीखा, लड़ रही है बाल विवाह से!

जिन सामाजिक बुराइयों के साथ जीने की लोगों ने आदत डाल ली हो, ऐसे मुद्दों पर लोगों को झकझोर कर जगाने, जागरूक करने और समाज सुधार की लड़ाई के इस नए लड़ाकों का स्वागत किया जाना चाहिए।