Chennai की शमुंगा प्रिया ‘यूनीक थ्रेड्स’ के नाम से साड़ियों का बिज़नेस चला रही हैं, जिसमें वे व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से विक्रेता और ग्राहकों से संपर्क बना कर रखती हैं। इनका नेटवर्क करीब 16 ग्रुप द्वारा फैला हुआ है।
एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने वाली हरयाणा की पूजा रानी के पिता उनकी बॉक्सिंग के ख़िलाफ़ थे. पर इस भारतीय खिलाड़ी ने चुपके से प्रशिक्षण किया और भारत का नाम रौशन किया.
दिल्ली की रहने वाली एलीना जॉर्ज, 'सेकंड चांस' पहल के ज़रिए तिहाड़ जेल के जेल नंबर 5 के कैदियों के जीवन को सुधार रही हैं। TYCIA संगठन के साथ शुरू हुए इस अभियान को अब वे बड़े स्तर पर ले जाना चाहती हैं, जिससे भारत के हर एक जेल में यह अभियान शुरू हो सके!
मृत्यु-मुखी पति की सेवा करती पत्नी की पीड़ा के ज़रिये मन्नू जी ने समाज का वह चेहरा सामने रखा है, जिसमें स्त्री को केवल सेवक के रूप में देखा जाता है और यह भुला दिया जाता है कि वह भी एक मानव है, जिसे पीड़ा होती है, जो थकती भी है और जिसे भूख भी लगती है!
गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाली छाया सोनावने सिलाई ट्रेनिंग सेंटर चलाती हैं। सिर्फ़ दसवीं तक पढ़ी छाया बेन ने गरीबी से लड़कर अपनी पहचान बनाई है। पिछले 31 सालों में उन्होंने 3, 000 से भी ज़्यादा लड़कियों को सिलाई करना सिखाया है और आज भी यह सिलसिला जारी है।
द बेटर इंडिया पर, पढ़िए ऐसी कुछ लेखिकाओं के बारे में, जिनकी रचनाओं ने स्त्री के मुद्दों को घर के चूल्हे और चारदीवारी से निकालकर पुरुष-प्रधान चौपाल तक पहुँचा दिया। इनमें कृष्णा सोबती, अमृता प्रीतम, मृदुला गर्ग, कमला भसीन, इस्मत चुग़ताई, अनुराधा बेनीवाल और चित्रा देसाई जैसे नाम शामिल होते हैं!