Powered by

Latest Stories

Homeप्रेरक महिलाएं

प्रेरक महिलाएं

घर बैठे व्हाट्सएप पर साड़ियाँ बेचकर हर महीने 1.5 लाख रूपये कमा रही हैं चेन्नई की शंमुगा!

Chennai की शमुंगा प्रिया ‘यूनीक थ्रेड्स’ के नाम से साड़ियों का बिज़नेस चला रही हैं, जिसमें वे व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से विक्रेता और ग्राहकों से संपर्क बना कर रखती हैं। इनका नेटवर्क करीब 16 ग्रुप द्वारा फैला हुआ है।

छुट्टी के दिन दिहाड़ी मज़दूरों के बच्चों को पढ़ाती है अंकिता, आज अंग्रेज़ी में अव्वल है ये बच्चे!

chattisgarh Girl रायपुर, की अंकिता जैन के प्रयासों पत्रकारिता की पढ़ाई की है और वर्तमान में एक सामाजिक संस्था के लिए काम करती हैंI

'अच्छे बच्चे बॉक्सिंग नहीं करते', कहकर पिता ने रोक दिया था प्रशिक्षण; आज बेटी ने गोल्ड जीत कर किया नाम रौशन!

By मानबी कटोच

एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने वाली हरयाणा की पूजा रानी के पिता उनकी बॉक्सिंग के ख़िलाफ़ थे. पर इस भारतीय खिलाड़ी ने चुपके से प्रशिक्षण किया और भारत का नाम रौशन किया.

राजस्थान में उगाये सेब और अनार; 1.25 एकड़ खेत से कमाए 25 लाख!

By मानबी कटोच

अक्सर माना जाता है कि सेब जैसे फल हिमाचल या कश्मीर जैसे ठंडे इलाकों में ही उगते हैं। पर शेखावती फार्म में आजकल एक सेब का पेड़ चर्चा का विषय बना हुआ है।

पिता हुए लाचार, तो उच्च-शिक्षित बेटी बन गयी किसान, कर दी अंगूर की खेती से आय दुगनी!

By मानबी कटोच

डेढ़ साल तक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में काम करने के बाद, उसने 2017 में अपनी नौकरी छोड़ दी और एक बार फिर से खेती संभालने के लिए वापस आ गई।

तिहाड़ जेल के कैदियों को ज़िंदगी का 'सेकंड चांस' दे रही है दिल्ली की यह युवती!

By निशा डागर

दिल्ली की रहने वाली एलीना जॉर्ज, 'सेकंड चांस' पहल के ज़रिए तिहाड़ जेल के जेल नंबर 5 के कैदियों के जीवन को सुधार रही हैं। TYCIA संगठन के साथ शुरू हुए इस अभियान को अब वे बड़े स्तर पर ले जाना चाहती हैं, जिससे भारत के हर एक जेल में यह अभियान शुरू हो सके!

स्त्री वेदना से अनअवगत समाज की सोच को झकझोरती मन्नू भंडारी की कहानी - 'मुक्ति'!

By मानबी कटोच

मृत्यु-मुखी पति की सेवा करती पत्नी की पीड़ा के ज़रिये मन्नू जी ने समाज का वह चेहरा सामने रखा है, जिसमें स्त्री को केवल सेवक के रूप में देखा जाता है और यह भुला दिया जाता है कि वह भी एक मानव है, जिसे पीड़ा होती है, जो थकती भी है और जिसे भूख भी लगती है!

गरीबी से लड़कर बनाई अपनी पहचान, 3, 000+ लड़कियों को सिखाई सिलाई और आज भी सफ़र जारी है!

By निशा डागर

गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाली छाया सोनावने सिलाई ट्रेनिंग सेंटर चलाती हैं। सिर्फ़ दसवीं तक पढ़ी छाया बेन ने गरीबी से लड़कर अपनी पहचान बनाई है। पिछले 31 सालों में उन्होंने 3, 000 से भी ज़्यादा लड़कियों को सिलाई करना सिखाया है और आज भी यह सिलसिला जारी है।

महिलाओं के मुद्दों को घर के चूल्हे-चारदीवारी से निकाल, चौपाल तक पहुँचाने वाली बेबाक लेखिकाएं!

By निशा डागर

द बेटर इंडिया पर, पढ़िए ऐसी कुछ लेखिकाओं के बारे में, जिनकी रचनाओं ने स्त्री के मुद्दों को घर के चूल्हे और चारदीवारी से निकालकर पुरुष-प्रधान चौपाल तक पहुँचा दिया। इनमें कृष्णा सोबती, अमृता प्रीतम, मृदुला गर्ग, कमला भसीन, इस्मत चुग़ताई, अनुराधा बेनीवाल और चित्रा देसाई जैसे नाम शामिल होते हैं!