विशाल का फाउंडेशन सिर्फ खाना ही नहीं बल्कि जरूरतमंद लोगों को रहने के लिए छत भी देता है। अस्पताल के बाहर उन्होंने रैन बसेरे बनवाएं हैं जहां तीमारदार ठहर सकते हैं।
"दसवीं के बाद मेरे घर वालों ने मुझे स्कूल भेजने से मना कर दिया जबकि मेरे भाई पढ़ने जाते थे। मुझसे और मेरी बहनों से कहा गया कि हम आखिर पढ़कर क्या कर लेंगी।"
इन जानवरों को भी चोट लगने, बीमारी या भूख में उतनी ही तकलीफ होती है जितनी हम इंसानों को। जानवरों से अगर प्यार करो तो वो बदले में आपसे उतनी ही वफादारी से प्यार करते हैं। इसलिए इनके प्रति क्रूरता और अपराध को रोकना चाहिए। - शबा बानो
''जब उन्होंने पहली बार एक एकड़ में पीली सतावरी लगाई तो आसपास के लोगों ने कहा, पंडित जी क्या झाड़ियां उगा रहे हो? कई लोगों को लगा इनकी बर्बादी के दिन आ गए हैं। लेकिन जब फसल कटी तो करीब चार लाख रुपए मिले। बाकी फसलों के मुकाबले ये रकम कई गुना थी।''
सुधा को डेयरी क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से लगातार 4 बार गोकुल पुरस्कार भी मिल चुका है। सुधा आज गाँव की दूसरी महिलाओं को भी डेयरी का संचालन करना सिखा रही हैं।
गाँवों की जनसंख्या में तकरीबन 40.51 करोड़ महिलाएं हैं। अगर हम इन ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बना सकें और ट्रेनिंग देकर छोटे-मोटे व्यवसाय से उन्हें जोड़ सकें तो ये आर्थिक विकास में मदद करेंगी।