डिप्लोमा करने के बाद वे चाहते तो कोई छोटी-मोटी नौकरी कर आराम से ज़िंदगी बिता सकते थे, लेकिन लगातार आगे बढ़ने की चाह ने उन्हें निश्चिंत होकर बैठने नहीं दिया।
उत्तराखंड : जैविक सब्जियां व फूल उगाकर लाखों में कमाते हैं राका भाई!.सबसे खास बात यह है कि इन सब्जियों के उत्पादन में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है।
उत्तराखंड में नैनीताल जिले के जिस हिस्से में मैंने डेरा डाल रखा वहां कॉर्बेट की विरासत के ऐसे कई कालखंड जिंदा हैं। उन्हें टटोलने की जिद पाले बार-बार लौट आती हूं इस तरफ। उस दिन भी सफारी की थकान बदन से झाड़कर हम पवलबढ़ फॉरेस्ट रेस्ट हाउस की तरफ चल पड़े थे।
26 मार्च 1974 को गढ़वाल की गौरा देवी के नेतृत्व में ग्रामीण महिलाओं ने सरकार द्वारा लागू जंगलों की कटाई की नीति के विरोध में 'चिपको आंदोलन' की शुरुआत की। आज भी इतिहास में इस आंदोलन को देश के सबसे पहले पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन के तौर पर जाना जाता है!
अकादमी ने हाल ही में 22 फ़रवरी को उत्तराखंड के देहरादून में अपना 25वां केंद्र खोला है, जिसके ज़रिए वह और युवाओं को प्रशिक्षित कर, साल 2020 तक 1.5 लाख युवाओं को रोज़गार देने के अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहती है।
सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा के कैसोनी गांव (अब उत्तराखंड में) में 20 मई 1900 को हुआ था। हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक थे सुमित्रानंदन पंत। हरिवंश राय बच्चन के अच्छे मित्र हुआ करते थे और उन्होंने ही 'अमिताभ बच्चन' का नामकरण भी किया था।
राजस्थान के अलवर से ताल्लुक रखने वाले 45 वर्षीय विजेंद्र सिंह राठौर 2013 में हुई उत्तराखंड तबाही के दौरान अपनी पत्नी से बिछुड़ हो गये थे। पर उन्होंने हार नहीं मानी और लगभग डेढ़ साल बाद अपनी पत्नी को ढूंढ लिया। अब फिल्म-निर्माता सिद्दार्थ राय कपूर उनकी कहानी पर फिल्म बनाने जा रहे हैं।
केरल में भयानक बाढ़ के कारण होने वाले विनाश के बाद, राज्य सरकार को राहत और पुनर्वास के लिए 2600 करोड़ रुपये की जरूरत है। इस बीच, संयुक्त अरब अमीरात ने 700 करोड़ रुपये की मौद्रिक सहायता का वादा किया है। लेकिन केंद्र संयुक्त अरब अमीरात सरकार की सहायता को स्वीकार नहीं कर सकता है।
उत्तराखंड के चमोली जिले और रठगांव के बीच का पुल नदी के तेज बहाव और बारिश के चलते टूट गया। जिसकी वजह से गांव में 40 परिवार फंस गए थे। लेकिन भारतीय सेना ने स्थिति को संभालते हुए मात्र 36 घंटों में पुल को फिर से तैयार कर दिया।
उत्तराखंड के रामनगर के सब-इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह का मानना है कि उन्होंने उस मुस्लिम युवक को बचा कर कोई हीरो वाला काम नहीं किया है। वे सिर्फ पुलिस वाले होने के नाते अपना काम कर रहे थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए उनके वीडियो ने उन्हें लोगों के बीच हीरो बना दिया।