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सस्टेनेबल टूरिज़्म अवॉर्ड : द बेटर इंडिया के अनोखे पुरस्कार के लिए हीरो को करें नॉमिनेट

By पूजा दास

द बेटर इंडिया ने एक अनोखे तरह के पुरस्कार की शुरुआत की है। सस्टेनेबल टूरिज़्म अवॉर्ड के तहत उन हीरोज़ को सम्मानित किया जाएगा, जो टूरिज़्म के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हैं और जिनके काम का इस क्षेत्र में पॉज़िटिव प्रभाव पड़ा है।

महिलाओं को दुनिया घुमाने वाला स्टार्टअप, सिर्फ रु. 5000 में शुरू किया था कॉलेज गर्ल ने

इंदौर की रहने वाली साक्षी बालदे ने महिलाओं को दुनिया की सैर कराने के लिए ‘लेट हर ट्रैवल’ की शुरुआत नवंबर 2018 में महज 5000 रुपए से की थी। आज उनका सलाना टर्न ओवर करीब 25 लाख रुपए है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी।

खेती से जहां मुश्किल था आमदनी बढ़ाना, आज ईको-टूरिज्म से कमा रहे हैं 50 लाख सालाना

By प्रीति टौंक

उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास बसे क्यारी गांव के दो भाई, शेखर और नवीन उपाध्याय ने अपने दोस्त राजेंद्र सती के साथ मिलकर, ईको-टूरिज्म को बनाया अपने रोजगार का ज़रिया। अपने साथ गांववालों को भी दिलाया काम।

उत्तराखंड के 78 वर्षीय पूर्व IAF पायलट स्टीव लाल ने दिन-रात संघर्ष कर बचाया 140 एकड़ जंगल

By निशा डागर

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में 140 एकड़ में फैले अपने 'जिलिंग एस्टेट' की देखभाल के लिए 78 वर्षीय स्टीव लाल, भारतीय वायु सेना की नौकरी छोड़ कर वापस आ गए थे और तब से वह यहां पर लगाए अपने बाग, जंगल और जीव-जंतुओं की देखभाल कर रहे हैं।

दिल्ली टू लेह: जानिए, जमी हुई नदी पर पिकनिक मनाने के लिए कैसी होनी चाहिए तैयारी

By अलका कौशिक

चलिए दिल्ली से लेह तक के रोमांचक सफर में, अलका कौशिक के साथ। इस सफरनामे में, लेह-लद्दाख की ख़ूबसूरती बयान करते हुए, वह आपको वो सारे टिप्स भी देंगी, जो आपकी इस यात्रा के लिए ज़रूरी हैं।

हिमाचल: अकेले शुरू किया शहर का कचरा समेटना, 100 क्विंटल कचरे को लैंडफिल में जाने से रोका

By निशा डागर

हिमाचल प्रदेश में लाहौल जिले के रहने वाले सुशील कुमार पिछले लगभग डेढ़-दो सालों से अपने व्यापर मंडल में आने वाली सभी दुकानों और ढाबों आदि से प्लास्टिक और काँच के कचरे को लैंडफिल में जाने से रोक रहे हैं!

इको-टूरिज्म से बर्ड फेस्टिवल तक: पहाड़ों और जंगलों को सहेजता प्रकृति प्रहरी!

By निशा डागर

यहाँ आपको लगभग 200 किस्मों के पेड़-पौधों के साथ-साथ 125 किस्म की तितलियाँ, और 365 किस्म के पक्षी भी देखने को मिलते हैं!

सुईं-धागे से लिखी सफलता की इबारत और गाँव को बना दिया 'हस्तशिल्प गाँव'!

By निशा डागर

इस गाँव की महिलाएं जो भी उत्पाद बनाती हैं उन्हें 'पहाड़ी हाट' ब्रांड नाम से बाज़ार में उतारा गया है और आज यह उत्पाद न सिर्फ भारत बल्कि जर्मनी, जकार्ता जैसी जगहों पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं!

पॉकेट मनी इकट्ठा कर गरीब बच्चों को जूते, कपड़े और स्टेशनरी बाँट रहे हैं ये युवा!

By निशा डागर

सरकारी स्कूल के बच्चों को ठंड में बिना स्वेटर और नंगे पैर स्कूल आता देख इन युवाओं ने उनके लिए कुछ करने की ठानी!

खेती से नहीं हो रहा था फायदा तो इस किसान ने खेतों में बना दिया विंटेज विलेज!

इस विंटेज विलेज की सौंधी-सौंधी ठंड के मज़े लेने अब विदेशी पर्यटक भी यहाँ आने लगे हैं।