भारतीय रेलवे की ट्रेनों में और स्टेशनों पर स्वच्छता की योजना को नए स्तर पर ले जाने वाले फेडरिक पैरियथ ने न केवल अपनी नौकरी की, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। उन्हीं के कारण अहमदाबाद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो सका और आज यह कई सस्टेनेबल तरीक़ों से काम करता है।
दिल्ली की एक आईटी कंपनी में काम करने वाले अमित मेहता ने एक अनोखा कदम उठाते हुए अपने अपार्टमेंट की छत पर सोलर पैनल लगाया है। । मात्र एक साल में ही अमित, सोलर पैनल को फिक्स्ड डिपॉजिट से ज़्यादा फ़ायदेमंद मानने लगे और अब दूसरों को भी सोलर से जुड़ने की सलाह देते हैं।
आज दुनियाभर में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर सोलर सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर आपके घर में 7-8 घंटे की धूप आती है, तो आप हर महीने आने वाले बिजली बिल से बिल्कुल छुटकारा पा सकते हैं।
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले का बांचा गांव देश का पहला ऐसा गांव है, जहां न किसी घर में लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल होता है और न ही एलपीजी सिलेंडर का। जानिए कैसे बदली इस आदिवासी बहुल गांव की किस्मत!
नागालैंड का शिन्न्यु गांव (Nagaland Village) भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित है। 44 साल पहले बसे इस गांव में बिजली की कोई सुविधा न थी। लेकिन, एक सरकारी शिक्षक के सोशल मीडिया पोस्ट ने उन्हें एक नई उम्मीद दी है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
तमिलनाडु में चेन्नई के महिंद्रा वर्ल्ड सिटी में चाय का स्टॉल चलाने वाले एस. दामोदरन पिछले छह महीने से सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस कारण छह महीने से उन्हें न तो बिजली की समस्या हुई है और न ही बिजली के लिए कहीं और पैसे खर्चने पड़े हैं।
बेंगलुरु में रहने वाले एन. रामकृष्णन बता रहे हैं कि रिटायरमेंट के बाद, जब आपकी नियमित आमदनी नहीं होती, तब आप कौनसे छोटे-छोटे कदम उठाकर, अपना खर्चा कम कर सकते हैं।