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इनका घर है 85 बेजुबानों का आशियाना, रोज 300 जानवरों का भरती हैं पेट

By प्रीति टौंक

नौ साल की उम्र से सुषमा सिंह कर रही हैं जानवरों को रेस्क्यू, घर को शेल्टर होम बनाकर बेजुबानों की सेवा में लगे उनके परिवार की कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए।

यह परिवार रखता है कई बेसहारा लोगों का ख़्याल, 173 भटके लोगों को उनके परिवारों से मिलाया

By प्रीति टौंक

साल 2018 से यमुनानगर के रहनेवाले सरदार जसकीरत सिंह और उनका पूरा परिवार मिलकर ‘नि आसरे दा आसरा' नाम से एक शेल्टर होम चला रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने 173 लोगों को फिर से अपने परिवार से मिलने में मदद भी की है।

पढ़िए एक ऐसी दिव्यांग महिला की कहानी, जो करती हैं 40 स्पेशल बच्चों की माँ बनकर सेवा

By प्रीति टौंक

अपनी शारीरिक कमजोरी को ताकत बनाकर जूनागढ़ की नीलम बेन परमार अपनी बहन रेखा बेन परमार के साथ मिलकर, ‘सांत्वन विकलांग विकास मंडल’ नाम की संस्था के जरिए 40 ऐसे बच्चों के सेवा का काम कर रही हैं जो मानसिक रूप से कमजोर हैं।

21 वर्षीय कैफ अली ने डिज़ाइन किया ऐसा चलता-फिरता घर, जिसमें नहीं होगा किसी वायरस का खतरा

दिल्ली में रहने वाले कैफ अली को अपने 'स्पेस इरा प्रोजेक्ट' के लिए डायना अवॉर्ड, अर्न्स्ट एंड यंग अवॉर्ड, कॉमनवेल्थ मिशन द्वारा सस्टेनेबल डेवलपमेंट अवार्ड जैसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं। जानिए क्या है यह प्रोजेक्ट।

इस युवक के हैं 150 माता-पिता! बेघर बुज़ुर्गों को घर लाकर दिया सम्मान से जीने का सेकंड चांस

By निशा डागर

हैदराबाद के रहने वाले इंजीनियर, जैसपर पॉल 'सेकंड चांस' नामक अपने संगठन के जरिए 150 बेसहारा लोगों को खाना, कपड़े और घर की सुविधा दे रहे हैं।

पिता के इलाज के दौरान कई रात भूखे रहे विशाल, आज अस्पताल में निःशुल्क बाँटते हैं खाना!

विशाल का फाउंडेशन सिर्फ खाना ही नहीं बल्कि जरूरतमंद लोगों को रहने के लिए छत भी देता है। अस्पताल के बाहर उन्होंने रैन बसेरे बनवाएं हैं जहां तीमारदार ठहर सकते हैं।

हर रोज़ 70 जानवरों को खाना खिलाती है 15 साल की यह बच्ची!

By निशा डागर

चांदनी ने बेसहारा जानवरों के लिए एक शेल्टर होम भी शुरू किया है, जहां फ़िलहाल 55 बेजुबानों को वक़्त पर खाना और मेडिकल ट्रीटमेंट मिल रहा है!

35 सालों से असहाय लोगों को रोटी, कपड़ा और घर दे रहा है हरियाणा का यह ट्रक ड्राईवर!

By निशा डागर

देवो आश्रम के नाम से देव गोस्वामी दो शेल्टर होम चला रहे हैं, एक गन्नौर में और एक दिल्ली के द्वारका में। गन्नौर में फ़िलहाल 100 से ज़्यादा लोग हैं तो द्वारका में 80 लोगों का पालन-पोषण हो रहा है!

गहने और प्रॉपर्टी बेचकर बनाया अनाथ दिव्यांगों के लिए घर!

By निशा डागर

किसी भी बच्चे की सबसे बड़ी ख्वाहिश या फिर इच्छा होती है कि उसके पास अपना घर और परिवार हो और इसलिए उन्होंने अपने संगठन का नाम 'इच्छा फाउंडेशन' रखा।