इनका घर है 85 बेजुबानों का आशियाना, रोज 300 जानवरों का भरती हैं पेट

Animal Lover (2)

नौ साल की उम्र से सुषमा सिंह कर रही हैं जानवरों को रेस्क्यू, घर को शेल्टर होम बनाकर बेजुबानों की सेवा में लगे उनके परिवार की कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए।

बेजुबानों से प्यार करने वाले लोग तो आपने कई देखें होंगें, लेकिन आज हम आपको मिलवाएंगे एक ऐसी शख़्स से जिन्होंने अपना पूरा जीवन सिर्फ और सिर्फ बेजुबान जानवरों की देखभाल के लिए बिताने का फैसला किया है। नौ साल की छोटी सी उम्र से पटियाला की सुषमा सिंह अपने घर में बेजुबानों को आसरा देने का काम कर रही हैं। आज उनका घर 85 बेजुबानों का आशियाना बन गया है। जहाँ उनका परिवार मिल जुलकर इनका ख्याल रखता है। उनके पास रहने वाले ज्यादातर जानवर घायल और असहाय होते हैं।

द बेटर इंडिया हिंदी से बात करते हुए सुषमा ने बताया ये सभी जानवर उनके बच्चों की तरह है और इनकी देखभाल के लिए उन्होने शादी तक नहीं की है।आज उनके साथ उनके भाई और उनकी 70 साल की माँ, हर दिन अपने इलाके के 300 जानवरों के लिए खाना भी बनाते हैं और अपने घर में रहने वाले पैरालाइज़्ड जानवरों की सेवा भी करते हैं।

42 साल की सुषमा एक प्राइवेट कॉलेज में काम करती हैं और अपनी पूरी सैलरी खर्च करके इन घायल बेजुबानों को आसरा दे रही हैं। पिछले 30 सालों से वह अपने परिवार की जमा पूंजी और कमाई के दम पर ही इस काम को चला रही थीं। इस काम के लिए उनकी माँ ने अपने सारे गहने तक बेच दिए हैं। लेकिन एक दिन भी अपने प्यारे बेजुबान जानवरों को भूखा नहीं रखा। सुषमा को इस काम को सुचारु रूप से चलाने के लिए हर महीने करीब एक से डेढ़ लाख का खर्चा करना पड़ता है। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें इस काम के लिए फण्ड की बेहद कमी महसूस होने लगी।

इन बेजुबानों के लिए खर्च कर दी पूरी जमा पूंजी

इसलिए उन्होंने ‘चौपाया जीव रक्षा फाउंडेशन’ नाम से एक संस्था शुरू की, जिसके ज़रिए उन्हें कुछ दोस्तों की मदद भी मिल रही है। बावजूद इसके उन्हें हमेशा फण्ड और साधन की जरूरत रहती ही है। उनकी इस पहल को आसान बनाने में उन्हें आपके साथ की जरुरत है। सुषमा का मानना है कि हर कोई उनकी तरह अपने घर को शेल्टर होम बनाकर बेजुबानों की सेवा नहीं कर सकता लेकिन मदद का हाथ बढ़ाकर दूसरों का काम आसान जरूर बना सकते हैं।
आप मदद के लिए उनसे यहां सम्पर्क करें।

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