ओडिशा के कोरापुट जिले की रहने वाली रायमती घुरिया ने अब तक मिलेट की 30 से अधिक किस्मों को संरक्षित किया है। सातवीं पास रायमती का कृषि और बीज संरक्षण के प्रति लगाव आज उनकी पहचान बन गया है।
हिमाचल के मंडी जिले के नांज गांव के नेकराम शर्मा ने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा देसी बीज बैंक बनाया है। इस बीज बैंक में कई ऐसे अनाज हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई ऐसे भी हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो।
बेंगलुरु के डॉ. प्रभाकर राव, हरियाली सीड नाम से एक ऐसा सीड बैंक चला रहे हैं, जिसमें आपको 500 से ज्यादा देसी किस्म के सब्जियों के बीज मिल जाएंगे। उन्होंने साल 2011 में दुबई में आर्किटेक्ट का काम छोड़कर देसी सब्जियों की खेती शुरू की।
देसी सब्जियों और फलों का स्वाद, लोगों की थाली में वापस लाने के लिए गुना (मध्यप्रदेश) के रुठियाई गांव में रहनेवाले केदार सैनी ने सैकड़ों बीज इकट्ठा किए हैं, जिन्हे वह मात्र डाक खर्च के साथ देशभर के किसानों तक पंहुचा रहे हैं। अब तक वह देश के 17 राज्यों के हजारों लोगों तक ये बीज पंहुचा चुके हैं।
पालनपुर, गुजरात के 26 वर्षीय निरल पटेल ने लॉकडाउन के दौरान एक अनोखा बीज बैंक बनाया है। वह महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान तक पार्सल से विलुप्त होती वनस्पतियों और पेड़ों के बीज पहुंचाते हैं।
Gujarat से ताल्लुक रखने वाले 86 वर्षीय प्रेमजी पटल ने अपने नेक इरादों से यहाँ के तीन जिलों, राजकोट, गोंडल और मांगरोल की तस्वीर बदल दी है। उन्होंने अब तक 1 करोड़ पेड़ लगाये हैं और लगभग 2500 चेक डैम बनाये हैं।