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बेस्ट ऑफ 2020: 10 पर्यावरण रक्षक, जिनकी पहल से इस साल पृथ्वी बनी थोड़ी और बेहतर

इन योद्धाओं का प्रयास आने वाले वर्षों में पर्यावरण संरक्षण की दरकार को बढ़ाने में, महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

विलुप्त होती गौरैया को बचाने की मुहिम में जुटा है यह हीरो, गाँव में 7 से 100 हुई संख्या!

By पूजा दास

ओडिशा के ग्यारह जिलों में गौरैया को बचाने की कोशिश के अलावा, रवीन्द्र साहू 1993 से ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण के लिए भी काम कर रहे हैं।

हॉलेंड के ट्यूलिप से लेकर महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी तक; 6000 पौधों का खज़ाना है इनके बाग़ में!

रवींद्र के बगीचे में 25 प्रकार के कमल, 250 प्रजातियों के अडेनियम, 250 प्रजातियों के गुलाब, 25 प्रजातियों के बोगनवेलिया सहित 6000 गमलों में 150 से भी ज्यादा प्रकार के प्लांट्स हैं।

मिलिए 9 साल में 600 सांपों की ज़िंदगी बचाने वाले सोनू दलाल से!

सोनू सांपों को न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी मानते हैं बल्कि उनसे इंसानों को होने वाले फायदे भी गिनवाते हैं।

सिर्फ पेड़ ही नहीं लगाते, उनकी देखभाल कर बड़ा भी करते हैं उमाशंकर तिवारी!

By नीरज नय्यर

उमाशंकर अब तक 1200 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं, इनमें से कई पौधे पेड़ बन चुके हैं। वे प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए भी लोगों को जागरुक करते हैं।

18 साल की उम्र में लगाया था पहला पौधा, 6 साल में 22 पार्कों की बदल दी सूरत!

By भरत

भुवनेश ने 18 की उम्र में ही प्लांटेशन को अपनी हॉबी बना लिया और शहर के सभी उजड़े पड़े पार्कों को हरियाली से भरने की सोची।

100 साल पुराने घर की चीज़ों का दोबारा इस्तेमाल कर दिया नया रूप!

इस घर की नींव, खिड़कियां, दीवारें सब पुरानी चीज़ों से बनाई गई है। यह परिवार चाहता था कि पुराने घर की याद भी नए घर में रहे और पर्यावरण संरक्षण भी हो।

गुटखा छोड़, उन पैसों से 7 साल में लगाए 1 हज़ार पौधे!

"एक दिन वाटिका में आग लग गई और 200 पौधे जलकर राख हो गए। उस दिन मैं इतना रोया, जितना शायद अपनी माँ की मौत के समय भी नहीं रोया था। मेरे बच्चों ने मुझे सोच में देखकर आपस में सलाह की और मुझसे बोले, पापा आप एयरटेल के डिश को हटाकर फ्री वाला डिश लगा दीजिए और उन पैसों से पौधों की सुरक्षा के लिए तार की जाली ले आइए।"

इनके प्रयासों से भोपाल में लगे हैं 500 से ज्यादा पौधे, कई वयस्क होकर दे रहे छाया !

By नीरज नय्यर

‘विकास की जो राह हमने पकड़ी है इसके अंत में सिर्फ तबाही है। लेकिन इसे रोकना मुश्किल है, इसलिए नुकसान को कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं और इसके लिए आम लोगों को भी आगे आना होगा’।