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द बेटर इंडिया की पहल का असर! ज़रूरतमंदों तक पहुँची खुशियों की थाली

द बेटर इंडिया और स्वप्ना फाउंडेशन ने मिलकर की एक पहल, जिसके ज़रिए सैंकड़ों लोगों को पेटभर भोजन के साथ हमने परोसीं ढेर सारी खुशियाँ भी। इस काम में हमें मिला आपका भी साथ, शुक्रिया!

इस गांव में सभी हैं Youtubers, कलेक्टर की मदद से खुला स्टूडियो भी 

By प्रीति टौंक

न सरकारी नौकरी का लालच, न किसी फैंसी प्राइवेट जॉब का शौक़, छत्तीसगढ़ के इस गांव में हर कोई तकनीक और सोशल मीडिया के दम पर बन रहा है आत्मनिर्भर। सबसे अच्छी बात तो यह है कि इस काम में स्थानीय प्रशासन भी दे रहा है इनका साथ।

महाराष्ट्र के गाँव में हज़ारों साल पुरानी तकनीक से बना एक ऐसा घर जो है प्रकृति का हिस्सा

बैम्बू, गोबर, मिट्टी, ईंटें, रीसाइकल्ड लकड़ी और स्थनीय पत्थर; आस-पास मिलने वाली चीज़ों से यह घर बनाया है महाराष्ट्र के तीन दोस्तों ने, जो पेशे से आर्किटेक्ट हैं और गाँव की साधारण जीवनशैली से बेहद प्रभावित हैं। इसलिए इन्होंने अपनी कला से बनाया है यह प्राकृतिक घर।

पिता 25 साल से लगा रहे चाट-पकौड़ी का ठेला, बेटी मेहनत के दमपर UPSC में AIR 93 लाकर बनी IAS

"इंसान को पुराने दिनों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। ये जीवन में बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं," ऐसा मानना है IAS Dipesh Kumari के पिता गोविंद प्रसाद का; जिन्होंने 25 सालों तक चाय-पकौड़े का ठेला लगाकर गुज़ारा किया, लेकिन बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी।

500 बुजुर्गों का ख्याल रखने वाला बेटा, पिता की याद में चला रहा फ्री टिफिन सर्विस

By प्रीति टौंक

खेड़ा, गुजरात के रहनेवाले राकेश पंचाल पिछले पांच सालों से अपने शहर के सैकड़ों जरूरतमंद बुजुर्गों की सेवा कर रहे हैं, अपने फ्री टिफिन सर्विस के ज़रिए।

कभी विदेश में करते थे शो आज गुमनामी के अंधरे में खो चुके हैं यह कठपुतली कलाकार

By प्रीति टौंक

अहमदाबाद के कठपुतली कलाकर रमेश रावल ने अपना पूरा जीवन इस कला को संजोने में खर्च कर दिया और अपनी जमा पूनकी लगाकर बनाईं 3000 से अधिक कठपुतलियां।

आज़ाद भारत को पहला ओलंपिक गोल्ड दिलाने वाला गुमनाम नायक

देश को ओलिंपिक खेलों में 3 बार स्वर्ण पदक दिलाने वाले बलबीर सिंह, आज़ाद भारत की स्वर्णिम पहचान बने थे। 1948 ओलिंपिक में जब भारत ने गोल्ड अपने नाम किया, तो यह स्वतंत्र भारत का पहला ओलिंपिक गोल्ड मेडल था।

मिट्टी की चाह बनी प्रेरणा, आज गाँव में रहकर लोगों तक पहुंचा रहे हैं कोंकण की संस्कृति

अपनी खान-पान की संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र के शिरीष और पूजा गावस शहर का जीवन छोड़कर कोंकण में अपने गाँव तुमदार आ बसे और अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया!

कभी खुद जीना भूल चुके विवेक ने सिखाया 800 लोगों को फिर से जीना

By प्रीति टौंक

अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद कभी खुद जीने की चाह खो चुके विवेक शर्मा आज अपने प्रयासों से 800 से ज़्यादा लोगों को जिन्दा रहना और जिंदगी से प्यार करना सीखा चुके हैं।