द बेटर इंडिया और स्वप्ना फाउंडेशन ने मिलकर की एक पहल, जिसके ज़रिए सैंकड़ों लोगों को पेटभर भोजन के साथ हमने परोसीं ढेर सारी खुशियाँ भी। इस काम में हमें मिला आपका भी साथ, शुक्रिया!
न सरकारी नौकरी का लालच, न किसी फैंसी प्राइवेट जॉब का शौक़, छत्तीसगढ़ के इस गांव में हर कोई तकनीक और सोशल मीडिया के दम पर बन रहा है आत्मनिर्भर। सबसे अच्छी बात तो यह है कि इस काम में स्थानीय प्रशासन भी दे रहा है इनका साथ।
बैम्बू, गोबर, मिट्टी, ईंटें, रीसाइकल्ड लकड़ी और स्थनीय पत्थर; आस-पास मिलने वाली चीज़ों से यह घर बनाया है महाराष्ट्र के तीन दोस्तों ने, जो पेशे से आर्किटेक्ट हैं और गाँव की साधारण जीवनशैली से बेहद प्रभावित हैं। इसलिए इन्होंने अपनी कला से बनाया है यह प्राकृतिक घर।
"इंसान को पुराने दिनों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। ये जीवन में बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं," ऐसा मानना है IAS Dipesh Kumari के पिता गोविंद प्रसाद का; जिन्होंने 25 सालों तक चाय-पकौड़े का ठेला लगाकर गुज़ारा किया, लेकिन बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी।
देश को ओलिंपिक खेलों में 3 बार स्वर्ण पदक दिलाने वाले बलबीर सिंह, आज़ाद भारत की स्वर्णिम पहचान बने थे। 1948 ओलिंपिक में जब भारत ने गोल्ड अपने नाम किया, तो यह स्वतंत्र भारत का पहला ओलिंपिक गोल्ड मेडल था।
अपनी खान-पान की संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र के शिरीष और पूजा गावस शहर का जीवन छोड़कर कोंकण में अपने गाँव तुमदार आ बसे और अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया!
अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद कभी खुद जीने की चाह खो चुके विवेक शर्मा आज अपने प्रयासों से 800 से ज़्यादा लोगों को जिन्दा रहना और जिंदगी से प्यार करना सीखा चुके हैं।