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शहर के बीच लेकिन भाग-दौड़ से दूर, बिल्कुल घर वाला सुकून देता है खुशियों का यह कैफ़े

बेंगलुरु का सबसे पहला सस्टेनेबल और वीगन कैफ़े है 'हैप्पीनेस कैफ़े', जहां 100% प्लांट बेस्ड और टेस्टी खाने का स्वाद तो मिलता ही है, इसके अलावा इस अनोखे कैफ़े में प्रकृति के करीब रहने का एहसास मेहमानों को कुछ दिन यहीं ठहरने पर मजबूर कर देता है।

एक चम्मच इतिहास 'चीनी' का! 

चीनी यानी शक्कर के दाने भी भारत का ही आविष्कार हैं। माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति गुप्त शासन काल में हुई थी। गुड़ से जब शक्कर बनाई गई तो यह दिखने में सफ़ेद, क्रिस्टल और कंकड़ की तरह थी। इसके इसी रवेदार गुण की वजह से ही इसे 'शर्करा' कहा गया और इसी संस्कृत शब्द से बना है 'शक्कर'।

YouTube पर देखकर सीखा ट्रिक और 10 साल की उम्र में शुरू कर लिया अपना बिज़नेस

By प्रीति टौंक

मिलिए, वडोदरा के रेनाश देसाई से जो शहर के सबसे छोटे बिज़नेसमैन हैं। महज 10 साल की उम्र से उन्होंने Enso shoes नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया। वह हाइड्रोडीप तरीके से स्टाइलिश जूते बनाकर बेचते हैं और अपनी कमाई का 40 प्रतिशत हिस्सा जरूरतमंदों को देते हैं।

एक भी पेड़ काटे बिना, सुंदर पहाड़ी पर बना है यह हिल हाउस

केरल के वायनाड में बसे खूबसूरत सस्टेनेबल घर 'एस्टेट प्लावु' में वुडेन फ्लोर, क्ले के टाइल्स की छत, युकलिप्टस के पिलर्स और पत्थर के रास्तों का नज़ारा देखने को मिलता है। एक भी पेड़ को काटना या पत्थर को हटाना न पड़े इसलिए इस अनोखे घर का डिज़ाइन सबसे अलग बनाया गया, जिसका श्रेय जाता है बेंगलुरु के आर्किटेक्ट जॉर्ज रामापुरम और उनकी टीम को।

रांची में खुला पौधों का शॉपिंग मॉल! एक इंजीनियर की अनोखी पहल

By प्रीति टौंक

मिलिए, रांची के सौरभ कुमार से, जो पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, लेकिन पौधों और हरियाली के अपने शौक़ के कारण उन्होंने नौकरी करने के बजाय पौधे उगाना शुरू किया। आज वह इंडोर पौधों का एक अनोखा शॉपिंग मॉल चला रहे हैं और लोगों के घर के अंदर हरियाली फैला रहे हैं।

एक चम्मच इतिहास 'समोसा' का!

आप समोसे को भले ही स्ट्रीट फूड मानें, लेकिन यह उससे बहुत बढ़कर है। समोसा इस बात का सबूत है कि ग्लोबलाइज़ेशन कोई नई चीज़ नहीं है, क्योंकि इसकी पहचान देश की सीमाओं से परे है। कुछ लोग मानते हैं कि समोसा एक भारतीय नमकीन पकवान है, लेकिन इससे जुड़ा इतिहास कुछ और ही कहता है, क्या? आइए जानते हैं-

एक इंजीनियर का बनाया यह कैफ़े है ख़ास, यहाँ खाएं, पकाएं, बर्तन धोएं और घर ले जाएँ

हरियाणा के डाबला गांव के रहनेवाले नीरज शर्मा पेशे से तो इंजीनियर हैं, लेकिन जब उन्हें मिट्टी के बर्तनों का महत्त्व पता चला, तो उन्होंने केमिकल-मुक्त मिट्टी के बर्तन बनाने और बेचने के साथ-साथ लोगों को भी इसके गुणों से जोड़ना चाहा और इस तरह शुरुआत हुई ‘मिट्टी रसोई’ की!

एक चम्मच इतिहास 'चाय' का!

यूं तो पीने के लिए दुनियाभर में बहुत सारे ड्रिंक्स मौजूद हैं, लेकिन चाय की बात ही कुछ और है। चाय-प्रेमियों को जब तक सुबह-सुबह एक प्याली अच्छी सी चाय न मिल जाए, तब तक सारे काम किनारे कर दिए जाते हैं। सारी प्रेम कहानियां एक तरफ और चाय के लिए हमारी दीवानगी एक तरफ़! तो आइए, आपकी जान 'चाय' के इतिहास की रोचक कहानी सुनते हैं-

बिजली से लेकर पेट्रोल तक सब फ्री, यह किसान बेकार गोबर से पूरी करता है सारी जरूरतें

By प्रीति टौंक

शाजापुर, मध्य प्रदेश के किसान देवेंद्र परमार ने अपनी सूझ-बूझ से कमाल का सिस्टम तैयार किया है। कचरे में जानेवाले गोबर से वह CNG गैस बनाते हैं। अब उन्हें पेट्रोल और बिजली के लिए बिल्कुल पैसे खर्च नहीं करने पड़ते।

ट्री हाउस में रहने से लेकर जैविक खेती तक, जीवन का अलग अनुभव कराता है यह अनोखा फार्मस्टे

ऑर्गेनिक फार्मिंग से लेकर कम्पोस्टिंग तक, सब सीख सकते हैं मंगलुरु के नज़दीक केपु गाँव में बसे इस अनोखे 'वारानाशी फार्मस्टे' में। साथ ही यहाँ आने वाले मेहमान कायाकिंग और स्विमिंग जैसी कई एक्टिविटीज़ में भी भाग ले सकते हैं।