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मिलिए ओडिशा के सोनम वांगचुक से, गांव में चला रहे ‘थ्री ईडियट’ जैसा इनोवेशन स्कूल

innovation school

ओडिशा में बराल गाँव के अनिल प्रधान ने गांव के बच्चों के लिए ‘इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल फॉर रूरल इनोवेशन’ खोला है, जहाँ बच्चों को तकनीक और इनोवेशन का पाठ पढ़ाया जाता है।

कटक से लगभग 12 किलोमीटर दूर एक द्वीप पर कुछ गाँवों का समूह बसा हुआ है, जिसे 42 मोउज़ा कहते हैं। यहाँ के बच्चों के लिए, ओडिशा में बराल गाँव के अनिल प्रधान, थ्री ईडियट फिल्म के ‘रैंचो’ से कम नहीं हैं। क्योंकि उन्होंने भी गाँव में ही एक अनोखा स्कूल, ‘इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल फॉर रूरल इनोवेशन (अब यंग टिंकर अकेडमी)’ खोला है, जहाँ बच्चों को तकनीक और इनोवेशन का पाठ पढ़ाया जाता है। 

गाँव में पले-बढ़े अनिल ने बचपन से ही पढ़ाई के लिए परेशानियां झेली थीं। उनके पिता सीआरपीएफ में थे और अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए काफी सजग थे। अनिल हर दिन अपने गाँव से लगभग 12 किलोमीटर दूर कटक, साइकिल चलाकर पढ़ने जाते थे। उनकी यह यात्रा बहुत बार साइकिल खराब होने की वजह से काफी मुश्किल हो जाती थी। लेकिन वह हर रोज़ इन मुश्किलों को पार करने का रास्ता तलाशते थे और कोई न कोई जुगाड़ लगाते थे।

बचपन से नवाचार और जुगाड़ से जुड़ गया था रिश्ता

Anil pradhan
Anil With Students

अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनिल ने सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। यहाँ पर अपनी डिग्री के साथ-साथ उन्होंने कॉलेज की रोबोटिक्स सोसाइटी और बहुत से दूसरे प्रोजेक्ट्स में भी भाग लिया। इन सबके बीच वह यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट सेटेलाइट टीम का भी हिस्सा थे, जिन्होंने हीराकुंड बाँध को मॉनिटर करने के लिए एक सेटेलाइट बनाया।

अपनी डिग्री और प्रतिभा के दम पर वह आगे अच्छी नौकरी कर सकते थे, विदेश भी जा सकते थे। लेकिन उन्होंने गांव के बच्चों के लिए कुछ करने का फैसला किया। गाँव वापस आकर, उन्होंने यहाँ पर रूरल इनोवेशन सेंटर बनाने की ठानी।

अपने माता-पिता की मदद से उन्होंने मात्र तीन बच्चों के साथ एक स्कूल शुरू किया, जहाँ बच्चों को किताब से हटकर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है। इस स्कूल में वह छात्रों को ऐसा ज्ञान देना चाहते थे, जिससे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से वे वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल कर सकें।  

धीरे-धीरे उनके स्कूल में होने वाली अनोखी पढ़ाई के चर्चे सब जगह होने लगे और ज्यादा से ज्यादा लोग अपने बच्चों को यहाँ भेजने लगे। शुरूआत में सिर्फ 3 बच्चों से शुरू हुआ यह स्कूल आज 250 से ज्यादा बच्चों को शिक्षित कर रहा है। यह स्कूल प्री-नर्सरी से छठी कक्षा तक है।

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इनोवेशन स्कूल के लिए जीते कई अवार्ड्स

अनिल को इन सभी इनोवेशन और उनके स्कूल, इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल फॉर रुरल इनोवेशन के लिए भारत सरकार की ओर से 2018 का ‘नेशनल यूथ आइकन अवॉर्ड’ भी मिल चुका है। साथ ही, केंद्र सरकार के अटल इनोवेशन मिशन के तहत शुरू हुए अटल टिंकरिंग लैब में वह ‘मेंटर फॉर चेंज’ भी हैं। यहाँ तक ​​कि नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम ने उन्हें भुवनेश्वर के क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र में ‘इनोवेशन मेंटर’ नियुक्त किया।

इतना ही नहीं, उनके स्कूल के बच्चों के बनाए कई नवाचारों के पेटेंट भी रजिस्टर हो चुके हैं। भविष्य में वह ओडिशा में एक और इनोवेशन स्कूल शुरू करने वाले हैं और यह रेजिडेंशियल स्कूल होगा। इसके पीछे का उद्देश्य दूसरे राज्यों से आने वाले छात्रों को भी पढ़ने का मौका देना है। साथ ही, वह एक इन्क्यूबेशन सेंटर भी सेट-अप कर रहे हैं।

संपादनः अर्चना दूबे

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