देशभर में जहां सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगा है, ऐसे में लोगों को प्लास्टिक रीसायकल के लिए प्रेरित करने के लिए जूनागढ़ में एक अनोखी पहल की जा रही है। यहां आप प्लास्टिक जमा करके मुफ्त में खाना खा सकते हैं।
पुणे में रहने वाले नंदन भट ने प्लास्टिक के कचरे के प्रबंधन के लिए, एक सोशल स्टार्टअप 'Ecokaari' शुरू किया है। जिसके जरिए, वह सिंगल यूज पॉलिथीन, चिप्स तथा बिस्कुट आदि के रैपर्स को अपसायकल करके तरह-तरह के उत्पाद बना रहे हैं।
फरीदाबाद में ऑटो पिन स्लम में रहने वाले 20-25 बच्चों ने पहले साथ में मिलकर प्लास्टिक की खाली-बेकार पड़ी बोतलों और अन्य कचरे से 300 से भी ज्यादा 'इको ब्रिक' बनाई हैं और इन इको ब्रिक का इस्तेमाल उन्होंने अपने स्लम में 'इको बेंच' बनाने के लिए किया है।
पुणे के रहने वाले इंजीनियर और अब एक ‘अर्बन किसान’ समीर, पिछले 5 सालों से अपनी छत पर ‘एक्वापोनिक्स’ तरीके से 63 किस्म की सब्ज़ियां उगा रहे हैं। जिनमें टमाटर, पालक, पुदीना, खीरा, मक्का, स्टीविया और कद्दू शामिल हैं।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।
त्रिपुरा में तैनात IFS Officer प्रसाद राव ने प्रकृति में प्लास्टिक की रोकथाम के लिए अपनी कोशिश के तहत, झाड़ू के हैंडल के लिए प्लास्टिक की जगह, बाँस का इस्तेमाल किया।
राजप्पन की तारीफ करते हुए अभिनेता रणदीप हुड्डा ने लिखा, "कोई देश के प्रति अपना प्यार कैसे दिखा सकता है? शायद इस तरह से। प्यार अक्सर काम में झलकता है, केवल शब्दों और सोशल मीडिया पर नहीं। राजप्पन जी को सलाम है। देशभक्ति का असली चेहरा।”