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देखा है कभी गार्डन वाला ऑटो?

By प्रीति टौंक

घर में जगह नहीं थी तो पुणे के इस ऑटो वाले ने कुछ इस तरह किया अपने गार्डनिंग का शौक पूरा। प्रकृति से लगाव और पौधों से ऐसा प्यार आपने शायद ही पहले देखा होगा।

25 साल की मेहनत से इस दम्पति ने उगाएं 6000 पौधे, बचाए सैकड़ों पक्षी

By प्रीति टौंक

मिलिए, गुजरात के शंखेश्वर इलाके के धनोरा गांव में रहनेवाले बुजुर्ग दम्पति दिनेश चंद्र और देविंद्रा ठाकर से, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट होम को बनाया कुदरत का घर।

हरियाली का अनोखा मिशन चला रहे हैं प्रदीप, रिटायरमेंट के बाद लगाए 60 हजार पौधे

By प्रीति टौंक

ओडिशा के प्रदीप कुमार रथ ने रिटायर होने के बाद अपना पूरा जीवन पर्यावरण को समर्पित करने का फैसला किया है। 'परिवेश सुरक्षा अभियान' के ज़रिए उन्होंने गांवों की महिलाओं और बच्चों की मदद से 60,000 से अधिक पौधे लगाए हैं।

एक मछुआरा, जिसने 40 सालों से नाव में घूम-घूमकर लगाए लाखों मैंग्रोव

केरल के कन्नूर जिले में पयंगडी के पास थावम के रहनेवाले राजन, पेशे से एक मछुआरे हैं। लेकिन पिछले 40 सालों से मैंग्रोव को उगाने, संरक्षित करने और लोगों को जागरूक करके, उन्हें बचाने और पुनर्स्थापित करने का काम कर रहे हैं। इस वजह से उनका नाम मैंग्रोव राजन पड़ गया है।

एक लेखक की 26 साल की मेहनत और 30 लाख पेड़ों से बना ‘भालो पहाड़’

By प्रीति टौंक

78 वर्षीय कमल चक्रवर्ती, पिछले 26 सालों से पुरुलिया( पश्चिम बंगाल) में ‘भालो पहाड़' नाम की एक सोसाइटी चला रहे हैं। जिसके तहत उन्होंने एक भव्य जंगल बनाया है और यहाँ रहते आदिवासियों तक शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधा पहुंचा रहे हैं।

एक 23 वर्षीय युवा ने समझी हरियाली की अहमियत, तीन साल में उगा दिए चार लाख पेड़

By प्रीति टौंक

साल 2019 में, बीटेक सेकंड ईयर की पढ़ाई के समय विशाल श्रीवास्ताव ने सूखा प्रभावित इलाकों का दौरा किया, जिसके बाद मानो उनके जीवन को एक नई दिशा मिल गई। तब से वह अलग-अलग संस्थाओं से जुड़कर पौधा रोपण का काम करने में लग गए और अब तक लाखों पौधे लगा चुके हैं।

इस मरीन इंजीनियर ने सरकारी पार्क में खुद के खर्च पर लगाए 180 किस्मों के 650 से ज्यादा पौधे

By प्रीति टौंक

जम्मू के मरीन इंजीनियर नवजीव डिगरा हमेशा से जहाज पर रहते हुए प्रकृति के पास तो थे, लेकिन प्रकृति में फैले प्रदूषण से भी काफी परेशान थे। तभी उन्होंने अपने शहर के पार्क को हरा-भरा बनाने की ठानी और खुद की मेहनत से इसे एक बायोडायवर्सिटी गार्डन बना दिया।

रांची के परिवार का कमाल! घर में नहीं थी जगह तो रोड पर बना दिया गार्डन

By प्रीति टौंक

रांची के मनोज रंजन को बचपन से ही गार्डनिंग का शौक था। लेकिन शहर में नौकरी की वजह से उनका परिवार रांची आ गया और यहां पौधे लगाने की जगह नहीं थी। लेकिन पिछले पांच सालों से, उन्होंने घर के बाहर रोड साइड पौधे लगाना शुरू किया और आज 200 से ज्यादा पौधे उगाकर हरियाली फैला दी है।

22 साल से हर रोज़, ड्यूटी शुरू होने से 2-3 घंटे पहले ही आ जाते हैं यह शिक्षक, जानिये क्यों?

By प्रीति टौंक

भरुच (गुजरात) के सरकारी टीचर कमलेश कोसमिया, पिछले 22 सालों से पौधे लगाने का काम कर रहे हैं। अपनी ड्यूटी शुरू होने से पहले, हर दिन दो-तीन घंटे का समय निकालकर वह यह काम करते हैं। उनकी इस मेहनत की वजह से आज स्कूल में हर जगह हरियाली छा गई है।

एक ड्राइवर ने 18 साल लगाकर उगाए 5000 पेड़ और बेकार चीज़ों से बना दिया बच्चों का पार्क

By प्रीति टौंक

राजकोट के पास बसे एक छोटे से गांव मजेठी में रहने वाले जगमलभाई ने अपने खुद के खर्च से एक सुंदर सा Children's park तैयार किया है। सालों पहले उन्होंने मात्र दो पौधे लगाने से शुरुआत की थी, वहीं आज यहां 5000 पेड़-पौधे लगे हैं जिसमें से ज्यादातर पेड़ फलदार हैं।