स्थानीय स्कूल कई बार जय का रिजल्ट रोक लेते थे क्योंकि उनकी माँ के पास भरने के लिए फीस नहीं होती थी। जय के घर में इतनी गरीबी थी कि कई बार रात को महज़ चाय पीकर और बिस्किट खाकर सोना पड़ता था।
इस एक आईडिया ने हमारी आँखे खोल दीं कि कैसे कचरे में जाने पर इन नारियल खोल में मच्छर आदि उत्पन्न होने लगते हैं, जबकि हम इनका इस्तेमाल घर बनाने में कर सकते हैं!
शुरूआती एक साल में ही 'द्विज' ने लगभग 2, 500 पुरानी जीन्स और डेनिम इंडस्ट्री से बचने वाले लगभग 500 मीटर डेनिम को अपसाइकिल करके नए प्रोडक्ट्स बनाये हैं।
प्लास्टिक कचरे के चलते हर साल लगभग 1 लाख समुद्री जीव-जन्तु मरते हैं, तो वहीं हर साल प्लास्टिक बैग के उत्पादन पर लगभग 4.3 बिलियन का पेट्रोल खर्च होता है।
साल 2005 में मुंबई में आई बाढ़ में वे फंस गए थे और उनकी गर्दन तक पानी था। उस स्थिति में उन्हें बस एक मदद की उम्मीद थी कि कोई उन्हें वहां से बाहर निकाले।
उत्तर-प्रदेश के जगापुर गाँव में पली-बढ़ी रमा सिंह दुर्गवंशी फिलह मुंबई में एक कंपनी में बतौर डायरेक्टर कार्यरत हैं। लेकिन फिर भी वे अपने पति के सहयोग से Arise N Awake संस्था के ज़रिए गांवों के विकास का कार्य कर रही हैं। उनके प्रयासों से 20 हज़ार से भी ज़्यादा लोगों को लाभ मिला है।