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मुंबई स्लम्स के कमरे से अमेरिका के विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक बनने तक का सफर!

By भरत

स्थानीय स्कूल कई बार जय का रिजल्ट रोक लेते थे क्योंकि उनकी माँ के पास भरने के लिए फीस नहीं होती थी। जय के घर में इतनी गरीबी थी कि कई बार रात को महज़ चाय पीकर और बिस्किट खाकर सोना पड़ता था।

इन पाँच शहरों में रहते हैं, तो ज़रूर जुड़िये इन स्वच्छता हीरोज़ से!

By निशा डागर

इको-संडे की शुरुआत बेंगलुरु के दो ग्रेजुएशन छात्रों ने की है, तो वहीं दृष्टि फाउंडेशन की शुरुआत अहमदाबाद में एक पिता ने अपनी बेटी से प्रेरित होकर की!

कचरे से खाद, बारिश के पानी से बगीचा और बिजली बिल में लाखों की बचत हो रही है यहाँ!

By निशा डागर

साल 2017 में सोसाइटी ने आपूर्ति के बाद बची सोलर एनर्जी को एक बिजली वितरण कंपनी को बेचकर बिल में 2.6 लाख रुपये की बचत की!

मुंबई के इन दो शख्स से सीखिए नारियल के खोल से घर बनाना, वह भी कम से कम लागत में!

By निशा डागर

इस एक आईडिया ने हमारी आँखे खोल दीं कि कैसे कचरे में जाने पर इन नारियल खोल में मच्छर आदि उत्पन्न होने लगते हैं, जबकि हम इनका इस्तेमाल घर बनाने में कर सकते हैं!

स्लम में पला-बढ़ा यह डेंटिस्ट आज आदिवासी छात्रों को कर रहा है साइकिल गिफ्ट!

By निशा डागर

हर कोई स्कूल के बच्चों की मदद करना चाहता है पर कोई नहीं सोचता कि इन बच्चों को स्कूल कैसे पहुँचाया जाए। इस तरह साइकिल डोनेशन प्रोजेक्ट शुरू हुआ!

पुरानी जींस भेजिए और ये नए बैग खरीदिये, जिससे बचेगा पर्यावरण और होगी ज़रूरतमंदों की मदद!

By निशा डागर

शुरूआती एक साल में ही 'द्विज' ने लगभग 2, 500 पुरानी जीन्स और डेनिम इंडस्ट्री से बचने वाले लगभग 500 मीटर डेनिम को अपसाइकिल करके नए प्रोडक्ट्स बनाये हैं।

17 साल की इस लड़की की बनाई इको-फ्रेंडली प्लास्टिक के इस्तेमाल से करें पर्यावरण की रक्षा!

By निशा डागर

प्लास्टिक कचरे के चलते हर साल लगभग 1 लाख समुद्री जीव-जन्तु मरते हैं, तो वहीं हर साल प्लास्टिक बैग के उत्पादन पर लगभग 4.3 बिलियन का पेट्रोल खर्च होता है।

इस मुंबईकर ने भारी बारिश में फंसे लोगों और बेसहारा जानवरों के लिए खोले अपने घर के दरवाज़े!

By निशा डागर

साल 2005 में मुंबई में आई बाढ़ में वे फंस गए थे और उनकी गर्दन तक पानी था। उस स्थिति में उन्हें बस एक मदद की उम्मीद थी कि कोई उन्हें वहां से बाहर निकाले।

मुंबई: सफाई कर्मचारियों को रेनकोट, गमबूट्स और सुरक्षा उपकरण बांट रहीं हैं 15 वर्षीय संजना!

By निशा डागर

इससे पहले उन्होंने अपने स्कूल के एक प्रोजेक्ट के तहत पैरों से दिव्यांग लोगों के प्रोस्थेटिक लिंब (कृत्रिम पैर) ऑपरेशन के लिए भी कैंपेन चलाया था।

प्रशासन और ग्रामीणों के बीच सेतु बनकर, 20, 000+ लोगों तक पहुंचाई सरकारी योजनायें!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश के जगापुर गाँव में पली-बढ़ी रमा सिंह दुर्गवंशी फिलह मुंबई में एक कंपनी में बतौर डायरेक्टर कार्यरत हैं। लेकिन फिर भी वे अपने पति के सहयोग से Arise N Awake संस्था के ज़रिए गांवों के विकास का कार्य कर रही हैं। उनके प्रयासों से 20 हज़ार से भी ज़्यादा लोगों को लाभ मिला है।