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बिना डाइटिंग के IPS अफसर ने घटाया अपना 50 किलो वजन, जानिए कैसे

By प्रीति टौंक

वजन घटाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, कैसा होना चाहिए आपका रूटीन, IPS अफसर विवेक राज सिंह बता रहे हैं, कैसे उन्होंने अपना 50 किलो वजन कम किया।

इस दंपति के लिए 500 मीटर दौड़ना भी था मुश्किल, तीन साल में दौड़ने लगे 50 किमी मैराथॉन

By प्रीति टौंक

चलिए आपको मिलाते हैं, अमर्त्य सिन्हा और उनकी पत्नी नूतन सिन्हा से, आज से तीन साल पहले वे 500 मीटर भी ठीक से दौड़ नहीं पाते थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और फिटनेस को अपने जीवन का उदेश्य बना लिया, आज वे 50 किमी की दौड़ पूरी करने वाले अल्ट्रा रनर बन चुके हैं और अपने साथ कई और लोगों को भी प्रेरित कर रहें हैं।

खेती भी की, ऊंट-गाड़ी भी चलाई, आज IPS अफसर बनकर बदल दिया इतिहास

By प्रीति टौंक

बीकानेर, राजस्थान के एक छोटे से गाँव में जन्में प्रेमसुख डेलू ने बड़ी कठिनाइयों में अपना बचपन बिताया, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत की वजह से आज वह एक IPS अफसर बनकर देश की सेवा कर रहे हैं।

हर महीने अपनी जेब से रु. 20 हज़ार खर्च कर, 2200 छात्रों को देते हैं मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा

By पूजा दास

बठिंडा, पंजाब के केंद्रीय विद्यालय में गणित के शिक्षक, संजीव कुमार, लॉकडाउन के समय से 2200 से अधिक छात्रों को मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं।

जुताई के लिए हल और बैल खरीदने के नहीं थे पैसे, तो बना दिया साइकिल को जुताई मशीन

81 वर्षीय गोपाल भिसे ने ज़िंदगी की थकान को कभी खुद पर हावी होने नहीं दिया। उन्होंने छोटे किसानों के लिए साइकिल से जुताई मशीन बनाई, जिससे उनके जैसे किसानों को हल व बैल का एक सस्ता विकल्प मिल गया।

33 दोस्तों ने मिलकर बदल दी बिहार की तस्वीर; 1253 स्कूलों में लगवा दिए 4,70,000 फलदार पौधे!

पौधा वितरण के दौरान यह टीम बच्चों से करीब आधा घंटे का इंटरेक्शन करती है, जिसका परिणाम है कि अब तक वितरित किए गए पौधों की सर्वाइवल रेट 90% से ज़्यादा है।

पढ़िए 76 साल की इस दादी की कहानी जिसने 56 की उम्र में की बीएड, खोला खुद का स्कूल!

''माँ के देहांत के कारण बचपन में ही नन्हें कंधों पर रसोई और घर के कामों की जिम्मेदारी आ गई। 15 वर्ष की उम्र तक स्कूल का दरवाजा नहीं देखने वाली इस महिला के लिए काला अक्षर भैंस बराबर था। ज़िद करते हुए नन्हीं बच्चियों के साथ साड़ी पहने हुए ही स्लेट पकड़कर अक्षर ज्ञान लिया। 18 वर्ष की होने तक शादी कर दी गई। ससुराल में पढ़ाई-लिखाई पर पाबंदी के बावजूद पढ़ाई का क्रम जारी रखा। प्राइवेट कैंडिडेट के तौर पर घर पर पढ़ाई कर किसी तरह ग्रेजुएशन और फिर अपनी बेटी के साथ ही बीएड किया। आज खुद का स्कूल चला रही है। शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बनकर उभरी है।''

कभी थे ड्रग एडिक्ट, अब हैं पहाड़ों के नशा मुक्ति दूत!

पंकी की नशे की लत ने उसके सोचने-समझने की सलाहियत भी ख़त्म कर दी थी। आज उस घड़ी को याद करते हुए पंकी की ऑंखें भर आती हैं।