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Indian History

भारत तब और अब! आज़ादी के 76 साल बाद जानिए किन क्षेत्रों में की कितनी तरक्की

By प्रीति टौंक

आज़ादी के समय हमारे देश में स्कूलों की संख्या महज एक लाख के करीब थी, जो अब बढ़कर 15 लाख से ज्यादा हो गई है। शिक्षा ही नहीं स्वास्थ्य, सड़क और व्यापर के क्षेत्र में भी देश ने खूब तरक्की की है, जानिए बीते 76 सालों में आए बदलाव की कहानी।

एक चम्मच इतिहास 'आलू' का!

खाद्य इतिहासकार रेबेका अर्ल कहती हैं, "आलू दुनिया भर में होता है और सभी लोग इसे अपना समझते हैं।" वह इसे दुनिया का 'सबसे सफल प्रवासी' मानती हैं। आलू की कहानी किसी एक देश या भौगोलिक क्षेत्र की नहीं है। इसकी कहानी बताती है कि पिछली कुछ पीढ़ियों में इंसान ने ज़मीन और खाने के साथ अपना रिश्ता कैसे बदला है।

पद्म श्री से सम्मानित होंगे भानुभाई चितारा, 400 साल पुरानी कला को आज भी रखा है जीवित

By प्रीति टौंक

साल 2023 में पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले एक कलाकर हैं, भानुभाई चितारा। 80 साल के भानुभाई और उनका पूरा परिवार 400 साल पुरानी 'माता नी पचेड़ी' कला को आज भी जीवित रखने के लिए जाने जाते हैं।

एक चम्मच इतिहास 'चीनी' का! 

चीनी यानी शक्कर के दाने भी भारत का ही आविष्कार हैं। माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति गुप्त शासन काल में हुई थी। गुड़ से जब शक्कर बनाई गई तो यह दिखने में सफ़ेद, क्रिस्टल और कंकड़ की तरह थी। इसके इसी रवेदार गुण की वजह से ही इसे 'शर्करा' कहा गया और इसी संस्कृत शब्द से बना है 'शक्कर'।

एक चम्मच इतिहास 'चाय' का!

यूं तो पीने के लिए दुनियाभर में बहुत सारे ड्रिंक्स मौजूद हैं, लेकिन चाय की बात ही कुछ और है। चाय-प्रेमियों को जब तक सुबह-सुबह एक प्याली अच्छी सी चाय न मिल जाए, तब तक सारे काम किनारे कर दिए जाते हैं। सारी प्रेम कहानियां एक तरफ और चाय के लिए हमारी दीवानगी एक तरफ़! तो आइए, आपकी जान 'चाय' के इतिहास की रोचक कहानी सुनते हैं-

एक चम्मच इतिहास 'पान' का!

बनारसी पान तो पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन मद्रासी, कपूरी, सुहागपुरी, रामटेकी, महोवा पान भी कम नहीं। पान का पत्ता चखते ही उसकी क़िस्म के बारे में बता देने वाले महारथी भी देश में कम नहीं हैं। पान का यह पत्ता हमारे खान-पान और संस्कृति के ताने-बाने में कुछ इस तरह से रचा बसा है कि इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। इसे हम आज भी वहीं पाते हैं, जहां यह सदियों पहले था।

एक चम्मच इतिहास ‘लड्डू’ का!

लड्डू को सबसे पहले किसी हलवाई ने नहीं, बल्कि 4th सेंचुरी बीसी में भारतीय चिकित्सक सुश्रुत ने बनाया था और इसे दवाई की तरह इस्तेमाल किया जाता था। कैसे लड्डू ने दवाई से मिठाई का रुप लिया, आइए जानते हैं इसके मज़ेदार इतिहास के बारे में...

एक चम्मच इतिहास ‘काली मिर्च’ का!

छोटी सी दिखने वाली काली मिर्च किचन में और भारत के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा चुकी है। आज हर घर की रसोई में शामिल काली मिर्च का इतिहास 4 हज़ार साल पुराना है।

एक चम्मच इतिहास 'खिचड़ी' का!

ऐसा माना जाता है कि अकबर के दरबार में अबुल फज़ल प्रतिदिन 30 मन खिचड़ी पकाता था और उसके घर से गुज़रने वाला कोई भी व्यक्ति 24 घंटे खिचड़ी का स्वाद ले सकता था। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कितना विशाल और पुराना है हमारे देश में खिचड़ी का इतिहास!