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सिर्फ हॉबी नहीं बिज़नेस भी बन सकती है बचपन में सीखी कला, 57 वर्षीया निष्ठा से लें प्रेरणा

By प्रीति टौंक

मिलिए 57 वर्षीया निष्ठा सूरी से, जिन्होंने 55 की उम्र में जीवन की एक नई पारी की शुरुआत की और अपनी हॉबी को अपना बिज़नेस बना लिया। पढ़ें, उनके हैंडमेड होम डेकॉर बिज़नेस के बारे में।

तीन बहनों का आईडिया, 9 तरह के बांस से बनाई 'Bamboo Tea' और Forbes लिस्ट में हो गयीं शामिल

By निशा डागर

दिल्ली में पली-बढ़ी, श्री सिस्टर्स- तरु श्री, अक्षया श्री और ध्वनि श्री, साथ मिलकर 'Silpakarman' नामक ब्रांड चला रही हैं, जिसके अंतर्गत वह बांस के बने मग, कप, फ्लास्क, डेकॉर और फर्नीचर आदि के साथ अब Bamboo Tea भी बना रही हैं।

माँ-बेटे की रोड-ट्रिप, 51 दिनों में 28 राज्य, 6 यूनियन टेरिटरी और 3 इंटरनैशनल बॉर्डर

By प्रीति टौंक

यात्रा की शौक़ीन केरल की मित्रा सतीश ने अपने 10 साल के बेटे के साथ, एक शानदार रोड ट्रिप पूरी की है। उन्होंने दक्षिण भारत से लेकर, देश के पूर्वोतर राज्यों के गांवों में छिपी कला को करीब से जानने के लिए, 16,804 किलोमीटर की यात्रा की।

वोकल फॉर लोकल की मिसाल है शोभा कुमारी की कला, 1000+ महिलाओं को दी है फ्री ट्रेनिंग

By निशा डागर

रांची, झारखंड की रहने वाली शोभा कुमारी, पिछले 27 सालों से हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अपने संगठन ‘सृजन हैंडीक्राफ्ट्स’ के जरिए, वह हैंडीक्राफ्ट बैग और मिट्टी की गुड़िया जैसी चीज़ें बना रही हैं। उन्होंने अब तक हजार से ज्यादा महिलाओं को निःशुल्क ट्रेनिंग दी है। साथ ही, वह 40 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।

सुईं-धागे से लिखी सफलता की इबारत और गाँव को बना दिया 'हस्तशिल्प गाँव'!

By निशा डागर

इस गाँव की महिलाएं जो भी उत्पाद बनाती हैं उन्हें 'पहाड़ी हाट' ब्रांड नाम से बाज़ार में उतारा गया है और आज यह उत्पाद न सिर्फ भारत बल्कि जर्मनी, जकार्ता जैसी जगहों पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं!

पुरानी-बेकार चीजों से उपयोगी प्रोडक्ट बना रहीं हैं यह सिविल इंजीनियर, 1 करोड़ है सालाना टर्नओवर!

By निशा डागर

पूर्णिमा सिंह ने अपने व्यवसाय की शुरुआत सिर्फ 3 महिला कारीगरों के साथ की थी और उनकी पहली कमाई मात्र 20 हज़ार रुपये थी!

आदिवासी पहनावे को बनाया फैशन की दुनिया का हिस्सा, हाथ की ठप्पा छपाई ने किया कमाल

गाँव में ब्लॉक प्रिंट का काम करने वाले लोग ख़त्म हो चुके थे और युवा इसे करना नहीं चाहते थे। लेकिन मुहम्मद युसूफ अपने अब्बा से मिली विरासत को इस तरह खोना नहीं चाहते थे। उन्होंने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाए वह इस कला को मरने नहीं देंगे।

पंजाब की 'फुलकारी' को सहेज रही है यह बेटी, दिया 200 महिलाओं को रोज़गार!

By निशा डागर

एक फुलकारी दुपट्टा तैयार करने के लिए 15 से 20 दिन लग जाते हैं क्योंकि सारा काम हाथ की कढ़ाई का है!