धनबाद में कोल इंडिया के क्वार्टर में रहनेवाली नेहा कच्छप बचपन से ही पौधों के बीच पली-बढ़ीं। नेहा को शादी के बाद, हरियाली की कमी हमेशा खलती थी। लेकिन उन्होंने शिकायत करने के बजाय, माइनिंग एरिया में भी सैकड़ों पौधे लगाकर, कई लोगों को चौंका दिया।
गुजरात के राजकोट के रहनेवाले 13 वर्षीय निसर्ग त्रिवेदी को लॉकडाउन के दौरान, जब समय मिला तो उन्होंने अपने घर में पौधे लगाना शुरू कर दिया। आज उनके पास 300 से अधिक पौधे हैं, जो 15 तरह की तितलियों का घर हैं।
दिल्ली की पूनम अरोरा और उनका परिवार पिछले छह सालों से प्रदूषण और शहर की भागदौड़ छोड़कर देहरादून आ गए। जगह की कमी के कारण पूनम, शहर में पौधे नहीं उगा पाती थीं, लेकिन आज उनका घर कई रंग-बिरंगे फूलों से भरा है, जिसका सीधा लाभ परिवार के स्वास्थ्य को मिला है।
मौसम बदलते ही सब्जियों का स्वाद भी बदल जाता है। सर्दियां जाने को हैं और गर्मियां आने वाली हैं। नए मौसम में अपने गार्डन में बोए इन पांच सब्जियों के बीज।
43 वर्षीय सुमित बचपन से गार्डनिंग के शौक़ीन रहे हैं। सालों तक वह अपने पिता के स्टूडियो को संभाल रहे थे, लॉ की पढ़ाई भी की, लेकिन आख़िरकार पिछले एक साल से उन्होंने अपने मन का काम करने के लिए सब छोड़कर नर्सरी बिज़नेस शुरू किया। उनके डिज़ाइनर पौधे लाखों में बिकते हैं।
सूरत की रहनेवाली 42 वर्षीया मीनलपंड्या का गार्डनिंग से लगाव लॉकडाउन के दौरान ही बढ़ा। घर में रहते हुए, उन्होंने ऑनलाइन गार्डनिंग सीखी और घर की चीजों से ही एक किचन गार्डन तैयार कर लिया।
सूरत की 67 वर्षीया डॉ. मोहिनी गढिया ने नौकरी से रिटायर होने से पहले गार्डनिंग को अपना दूसरा काम बना लिया। एक साल पहले जब उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया तब घर में लगे पेड़-पौधों ने ही, उन्हें फिर से ठीक होने में मदद की।
मिलिए पटना के 88 वर्षीय कृपा शरण से, जिनके जीवन का अटूट हिस्सा है पेड़-पौधे। पेशे से कलाकार होने का कारण, उन्होंने अपने बगीचे को कुछ ऐसा सजाया है कि दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं।