लखनऊ में रहनेवाले रेलवे अधिकारी राजीव कुमार को गार्डनिंग से इतना प्यार है कि आज तक वह जहां भी रहें, वहां ढेरों पौधे लगाते रहें। उन्होंने अपना गार्डन लैंडस्केपिंग करके इतना सुन्दर सजाया है कि उन्हें इसके लिए हमेशा अवॉर्ड भी मिलते रहते हैं।
अंगुल (ओडिशा) की मोनालिसा पटनायक पांच सालों से अपने घर के गार्डन को किसी थीम पार्क की तरह सजा रही हैं। कभी उनका गार्डन शांति का सन्देश देता है, तो कभी शादी की झांकी दिखाता है। मजेदार बात तो यह है कि इसके लिए वह सिर्फ घर की बेकार चीजों का ही इस्तेमाल करती हैं।
धनबाद में कोल इंडिया के क्वार्टर में रहनेवाली नेहा कच्छप बचपन से ही पौधों के बीच पली-बढ़ीं। नेहा को शादी के बाद, हरियाली की कमी हमेशा खलती थी। लेकिन उन्होंने शिकायत करने के बजाय, माइनिंग एरिया में भी सैकड़ों पौधे लगाकर, कई लोगों को चौंका दिया।
गुजरात के राजकोट के रहनेवाले 13 वर्षीय निसर्ग त्रिवेदी को लॉकडाउन के दौरान, जब समय मिला तो उन्होंने अपने घर में पौधे लगाना शुरू कर दिया। आज उनके पास 300 से अधिक पौधे हैं, जो 15 तरह की तितलियों का घर हैं।
दिल्ली की पूनम अरोरा और उनका परिवार पिछले छह सालों से प्रदूषण और शहर की भागदौड़ छोड़कर देहरादून आ गए। जगह की कमी के कारण पूनम, शहर में पौधे नहीं उगा पाती थीं, लेकिन आज उनका घर कई रंग-बिरंगे फूलों से भरा है, जिसका सीधा लाभ परिवार के स्वास्थ्य को मिला है।
मौसम बदलते ही सब्जियों का स्वाद भी बदल जाता है। सर्दियां जाने को हैं और गर्मियां आने वाली हैं। नए मौसम में अपने गार्डन में बोए इन पांच सब्जियों के बीज।
43 वर्षीय सुमित बचपन से गार्डनिंग के शौक़ीन रहे हैं। सालों तक वह अपने पिता के स्टूडियो को संभाल रहे थे, लॉ की पढ़ाई भी की, लेकिन आख़िरकार पिछले एक साल से उन्होंने अपने मन का काम करने के लिए सब छोड़कर नर्सरी बिज़नेस शुरू किया। उनके डिज़ाइनर पौधे लाखों में बिकते हैं।