Placeholder canvas

खेलने की उम्र में शुरू की बागवानी, आज बगीचे में हैं 300 पौधे और 15 तरह की तितलियाँ

13 YO Gujarat Boy Started Gardening In Lockdown To Attract Butterflies

गुजरात के राजकोट के रहनेवाले 13 वर्षीय निसर्ग त्रिवेदी को लॉकडाउन के दौरान, जब समय मिला तो उन्होंने अपने घर में पौधे लगाना शुरू कर दिया। आज उनके पास 300 से अधिक पौधे हैं, जो 15 तरह की तितलियों का घर हैं।

आज के दौर में ज्यादातर अभिभावकों को इस बात की शिकायत होती है कि उनके बच्चे दिन-रात मोबाइल और टीवी में खोए रहते हैं। लेकिन, गुजरात के राजकोट के रहनेवाले 13 साल के निसर्ग त्रिवेदी की कहानी कुछ हटकर है।

दरअसल, सातवीं में पढ़ने वाले निसर्ग को कोरोना महामारी के दौरान, स्कूल बंद होने के कारण जितना समय मिला, उसे उन्होंने मोबाइल गेम और टीवी के पीछे यूं ही बर्बाद करने के बजाय, अपने घर में ही एक बगीचा तैयार करने में लगाया।

आज उनके बगीचे में किडामारी, पारिजात, लाजमनी, कॉसमॉस जैसे 300 से अधिक पौधे हैं। खास बात तो यह है कि वह अपने पौधों को दूसरों को भी बांटते हैं और उसके बदले में किसी से एक रुपया भी नहीं लेते।

13 YO Gujarat Boy Nisarg Trivedi
निसर्ग त्रिवेदी

उन्होंने अपने पौधों को लगाने के लिए बेकार बर्तनों और बैग्स का इस्तेमाल किया है। उनका बगीचा 300 गज के दायरे में फैला हुआ है और कई तरह के तितलियों और पक्षियों का घर भी है। 

कहां से  मिली सीख?

जिस उम्र में बच्चों का पूरा ध्यान सिर्फ खेलकूद पर होता है, उस उम्र में निसर्ग को यह सीख अपने पिता भावेश त्रिवेदी से मिली, जो खुद एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं। 

निसर्ग कहते हैं, “मेरे पिताजी अक्सर पर्यावरण से संबंधित किसी न किसी कार्यक्रम में जाते रहते हैं। मैं भी बचपन से ही, उनके साथ कई कार्यक्रमों में जाता रहा हूं। इस वजह से मुझे पेड़-पौधों से काफी लगाव हो गया।”

Butterfly Garden In Rajkot
निसर्ग का बगीचा

लॉकडाउन के दौरान, उनके घर में काफी प्लास्टिक्स जमा हो गई थीं जिसे देख निसर्ग को चिन्ता हुई कि ये सभी प्लास्टिक्स, कचरे के डिब्बे में ही जाएंगी औरफिर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगी।

इस समस्या का हल ढूंढने के लिए ही, निसर्ग ने बेकार प्लास्टिक को जमा करना शुरू कर दिया और तुलसी व  पारिजात के 200 से अधिक पौधे लगाए। इससे उनका मनोबल काफी ऊंचा हो गया और उन्होंने आगे अलग-अलग तरह के पौधों को लगाने का फैसला कर लिया।

पक्षियों और तितलियों को आसरा देने की कोशिश

निसर्ग को पक्षियों और तितलियों से खास लगाव है और उन्हें जहां भी तितली दिखती है, उनका मन रंगों से भर जाता है। अपने घर में एक बार बागवानी की शुरुआत करने के बाद, उन्होंने इंटरनेट पर जानकारियां इकठ्ठा करना शुरू कर दिया कि किस तरह के पौधों को लगाने से अधिक पक्षी और तितलियां आकर्षित होती हैं। 

13 YO Gujarat Boy Nisarg also honored by the District Forest Department for presenting a unique model of horticulture
बागवानी का अनूठ मॉडल पेश करने के लिए जिला वन विभाग द्वारा भी सम्मानित किए गए निसर्ग त्रिवेदी

लॉकडाउन के दौरान, उन्होंने इंटरनेट पर जानकारियां इकठ्ठा कर, ऐसे पौधों को लगाना शुरू किया, जिसकी ओर अधिक तितलियां आकर्षित होती हैं। इस कोशिश में उन्होंने किडामारी, लाजमनी, घुघरो जैसे कई पौधे लगाए और आज उनका छोटा-सा बगीचा 15 से अधिक तरह के तितलियों के अलावा, दर्जनों पक्षियों का भी घर है।

यह भी पढ़ें – चार साल पहले तक एक पौधा भी नहीं आता था उगाना, आज फूलों की चादर से ढका रहता है इनका घर

बांट चुके हैं 250 से अधिक पौधे

अपने घर में पौधे लगाने के अलावा, निसर्ग आस-पास के मंदिरों और कॉलेजों में पौधारोपण करने के लिए 250 से अधिक पौधे बांट चुके हैं। पौधों के देने के बदले में, वह किसी से कोई पैसा नहीं लेते । 

पुरस्कार हासिल करते निसर्ग

वहीं, इसमें आने वाले खर्च को लेकर उनके पिता भावेश कहते हैं, “निसर्ग पौधों को बेकार थैलों और बर्तनों में लगाते हैं, जिस वजह से  कोई खास खर्च नहीं होता है। हमें बस, बीज और कोकोपीट बाजार से खरीदने की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए मामूली खर्च होता है।”

निसर्ग को इतनी कम उम्र में, बागवानी का एक शानदार उदाहरण पेश करने के लिए बीते साल, जिला वनमहोत्सव के दौरान वन विभाग द्वारा सम्मानित भी किया गया। 

मिट्टी से जुड़ना जरूरी

निसर्ग के इस पहल को लेकर, भावेश अंत में कहते हैं, “आज मोबाइल और टीवी के कारण, बच्चे एक अलग ही रियलिटी में जीते हैं। लेकिन, अगर उन्हें पेड़-पौधों से जोड़ा जाए, तो वे अपनी मिट्टी से जुड़े रहेंगे। यह पर्यावरण और समाज, दोनों के लिए सबसे अच्छा होगा।”

नन्हीं सी उम्र में ही यह सोच रखने वाले निसर्ग त्रिवेदी के जज्बों को द बेटर इंडिया सलाम करता है।

मूल लेख: वनराज डाभी

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ें – चार साल पहले तक एक पौधा भी नहीं आता था उगाना, आज फूलों की चादर से ढका रहता है इनका घर

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X