सूरत की रहनेवाली 42 वर्षीया मीनलपंड्या का गार्डनिंग से लगाव लॉकडाउन के दौरान ही बढ़ा। घर में रहते हुए, उन्होंने ऑनलाइन गार्डनिंग सीखी और घर की चीजों से ही एक किचन गार्डन तैयार कर लिया।
सूरत की 67 वर्षीया डॉ. मोहिनी गढिया ने नौकरी से रिटायर होने से पहले गार्डनिंग को अपना दूसरा काम बना लिया। एक साल पहले जब उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया तब घर में लगे पेड़-पौधों ने ही, उन्हें फिर से ठीक होने में मदद की।
मिलिए पटना के 88 वर्षीय कृपा शरण से, जिनके जीवन का अटूट हिस्सा है पेड़-पौधे। पेशे से कलाकार होने का कारण, उन्होंने अपने बगीचे को कुछ ऐसा सजाया है कि दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं।
आज लोगों में नौकरी-पेशा को लेकर तनाव काफी बढ़ गया है, खासकर कोरोना महामारी के दौर में। लेकिन घर में कुछ Stress Reliever Plants को लगाकर आप खुद को तनावमुक्त रख सकते हैं। जानिए कैसे!
रांची में सरकारी क्वार्टर में रहने वाली दीपिका लकड़ा को गार्डनिंग से खास लगाव है। वह कई तरह के सजावटी पौधे उगा रही हैं और साथ ही एक नर्सरी भी चला रहीं हैं।
सूरत के सुरती परिवार में बच्चे और बुजुर्ग सभी मिलकर गार्डनिंग करते हैं। घर के आंगन और छत का इस्तेमाल करके ये तक़रीबन हर मौसमी सब्जी, छह किस्मों के फल सहित 15 से ज्यादा औषधीय पौधे उगाते हैं।
बिहार के पटना में रहने वाले विजय राय पिछले लगभग 20 सालों से अपनी छत पर बागवानी कर रहे हैं। उनके बगीचे में सजावटी पौधों, फूलों, बोनसाई, मौसमी सब्जियों से लेकर कई तरह के फलों के पेड़ भी लगे हुए हैं।