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UPSC उम्मीदवारों को IPS अंकिता शर्मा का दिल छू जाने वाला पत्र, बताए सफलता के मंत्र

By अर्चना दूबे

“जीत और असफलता जीवन का हिस्सा है, कुछ लोग इस बात को सफलता मिलने के बाद ही समझ पाते हैं, न कि कठिनाइयों से गुजरते हुए। इस पत्र को लिखने के पीछे मेरा उद्देश्य था कि इससे UPSC उम्मीदवारों को प्रेरित किया जा सके। कभी-कभी आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरणा भरी एक लाइन की ज़रूरत होती है।”- IPS Ankita Sharma

6 महीने में 300 गाँव, 500 मंदिर और 26 हजार किमी की यात्रा, वह भी अपनी कार से

By प्रीति टौंक

दिल्ली के व्यवसायी तरुण बंसल ने अपनी पत्नी सुनैना और दो बेटियों के साथ, छह महीने में 26 हजार किलोमीटर की road Trip की। इस दौरान, वे 15 राज्यों के 300 गावों में घूमे और देश के 500 से अधिक मंदिरों के इतिहास के बारे में जाना।

मेट्रो शहर छोड़, पहाड़ों में बसा यह दंपति, खर्च हुआ कम और जीवन बना बेहतर

By निशा डागर

लवप्रीत और उनकी पत्नी, प्रीति गुरुग्राम की भागदौड़ भरी जिंदगी को छोड़, उत्तराखंड के रामगढ़ में बस गए। जहां वह खेती करते हुए एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी रहे हैं तथा अपने अनुभव को, अपने यूट्यब चैनल ‘पंजाबी ट्रेकर’ के जरिए लोगों से साझा कर रहे हैं।

परिवार के डेयरी फार्म को आगे बढ़ाने वाली 21 वर्षीया श्रद्धा धवन, कमातीं हैं 6 लाख रुपये/माह

By प्रीति महावर

महाराष्ट्र में अहमदनगर के निघोज गांव की श्रद्धा धवन ने 11 साल की उम्र में परिवार के डेयरी फार्म की जिम्मेदारी उठाई थी। आज 6 लाख रूपये/ माह आय के साथ, दो मंजिला मवेशी शेड में 80 भैंसों के दूध से प्रति दिन 450 लीटर दूध बेचती हैं।

चित्रकूट के ये कारीगर मुफ्त में बच्चों को सीखा रहें हैं लकड़ी से खिलौने बनाना

“हमें लगा हमारी पीढ़ी के जाने के बाद कोई जानेगा ही नहीं इन खिलौनों के बारे में। हम चाहे जितना भी कम कमा रहे हैं, यह कला है हमारी, ऐसे कैसे ख़त्म होने दें।"

इस महिला ने छोड़ दी अपनी नौकरी ताकि हज़ारों बच्चों को न छोड़नी पड़े पढ़ाई!

By निशा डागर

ड्रीम स्कूल फाउंडेशन की मदद से आज बहुत से सरकारी स्कूलों के बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं।

"मेरी माँ उनकी हँसी और मुस्कुराहट में ज़िंदा हैं, जिन्हें उनकी वजह से जीने का सेकंड चांस मिला!"

By निशा डागर

"किसी को नहीं पता था कि क्या हुआ? डॉक्टर्स ने उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए कहा। लेकिन जब वहां पहुंचे तो कहा गया कि बहुत देर हो चुकी है।"

बुजुर्गों की माधुरी माँ, जो बच्चों की तरह करती हैं उनकी देखभाल!

By नीरज नय्यर

‘अपना घर’ केवल नाम का ही ‘अपना’ नहीं है। यहाँ रहने वाले बुजुर्गों को हर वो आज़ादी है, जो शायद कभी उन्होंने अपने घर में महसूस की होगी।