पहले शहर की गन्दगी की ओर लोगों का रवैया बेहद उदासीन था, लेकिन उनकी खूबसूरत पेंटिंग्स ने वो कमाल कर दिखाया है कि अब लोग अपनी मर्ज़ी से इन खूबसूरत दीवारों के आसपास साफ़-सफाई रखने लगे हैं।
बाल गंगाधर तिलक द्वारा अपने अखबार ‘केसरी’ में इस्तेमाल की जाने वाली उत्तेजक भाषा से प्रभावित होकर इन्होंने रैंड के ख़िलाफ क़दम उठाने का फ़ैसला किया, क्योंकि उसने पुणे के कई परिवारों को अपमानित किया था।
शहर में जिस तेजी से शू स्टोर खुलते हैं उतनी रफ्तार से बुक स्टोर नहीं खुल रहे। और पहले जैसी लाइब्रेरी की परंपरा भी चूकने लगी है। लेकिन इस दौर में अक्षता जैसे युवा सब्र का मंज़र दिखाते हैं। वो याद दिलाते हैं कि सब कुछ चूका नहीं है।
महाराष्ट्र में रहने वाले ध्रुवंग हिंगमिरे और प्रियंका गुंजिकर कोई सामान्य आर्किटेक्ट नहीं हैं। ये दोनों पति-पत्नी ऐसे घरों का निर्माण करते हैं, जिसमें प्राकृतिक निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हो। स्थानीय परिवेश और वातावरण को ध्यान में रखकर बनाये गये इनके घरों में न तो किसी एसी की जरूरत है और न ही पंखे की।
गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाली छाया सोनावने सिलाई ट्रेनिंग सेंटर चलाती हैं। सिर्फ़ दसवीं तक पढ़ी छाया बेन ने गरीबी से लड़कर अपनी पहचान बनाई है। पिछले 31 सालों में उन्होंने 3, 000 से भी ज़्यादा लड़कियों को सिलाई करना सिखाया है और आज भी यह सिलसिला जारी है।
महाराष्ट्र के पुणे में स्थित अस्पताल, रूबी हॉल क्लिनिक में एक कार्डिएक सर्जन होने के साथ-साथ डॉ. मनोज दुरैराज, मैरियन कार्डिएक सेंटर एंड रिसर्च फाउंडेशन के हेड भी हैं। यहाँ वे दिल की बिमारियों से पीड़ित मरीज़ों का इलाज मुफ़्त में करते हैं।