वरुण गोयनका और अक्षय कश्यप ने दिल्ली में एक EV स्टार्टअप, ‘चार्ज-अप’ की स्थापना की है, जहाँ e rickshaw चालकों को खाली बैटरी के बदले, चार्ज की हुई बैटरी दी जाती है।
अहमदनगर के प्रमोद सुसरे ने अपने हुनर के भरोसे नौकरी छोड़कर रीसाइकल्ड फर्नीचर बनाने का काम शुरू किया। लोगों ने उनका मज़ाक भी उड़ाया लेकिन आज वह अपने इसी स्टार्टअप से करोड़ों का मुनाफा कमा रहे हैं।
Cello Group 60 साल पुरानी कंपनी है, लेकिन आज भी इसके प्रोडक्ट्स को उनके नाम से ज्यादा ब्रांड के नाम से जाना जाता है, चाहे वो वॉटर बॉटल हो, पैन हो या फिर कैसरोल। सेलो ने आज भी ग्राहकों की नब्ज को पकड़ के रखा हुआ है।
पुणे में रहनेवाले 21 वर्षीय सौरभ देवढे कपड़े पर ही नहीं बल्कि पत्तियों पर भी hand embroidery कर लेते हैं। आज अपने इस हुनर से वह अच्छा खासा कमा भी रहे हैं।
2013 के उत्तराखंड आपदा की वजह से देहरादून की हिरेशा वर्मा के जीवन में भी एक बड़ा बदलाव आया। आपदा में बेसहारा हुई महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए, उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की और अपने साथ कई लोगों को ट्रेनिंग दी। आज उनकी कंपनी विदेश तक मशरूम पहुंचा रही है।
इंदौर के प्रशांत कुलकर्णी और आरती सिरसट कुलकर्णी ने 2011 में एक छोटी-सी दुकान पर पानी-पूरी ब्रांड, 'चटर पटर' की शुरुआत की थी और आज आज 22 राज्यों में उनके आउटलेट हैं।