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कार्डबोर्ड से बना 10 रुपये का यह स्कूल बैग बन जाता है डेस्क भी!

By सोनाली

चीजें जो हम नज़रअंदाज़ करते हैं, वह अक्सर सबसे महत्वपूर्ण होती है। डेस्क, कुर्सी या ब्लैक बोर्ड किसी स्कूल की सबसे बेसिक आवश्यकता होती है। इसके बावजूद ग्रामीण भारत के सैकड़ों स्कूल इन सुविधाओं से दूर है। "

इस गाँव को एक दिन बाद मिली थी आज़ादी की ख़बर, लोग झाँकिया लेकर पहुंचे थे ख़ुशी मनाने!

By Sanjay Chauhan

इस दिन सम्पूर्ण घाटी के लोग परम्परागत वेशभूषा धारण कर घरों में आजादी के दीये जलाते,तरह-तरह के पकवान बनाते और परम्परागत नृत्यों में रम जाते हैं।

माता-पिता न बनने का लिया फ़ैसला ताकि पंद्रह ज़रूरतमंद बच्चों को दे सके बेहतर ज़िन्दगी!

'' मुझे सबसे अधिक ख़ुशी तब होती है जब यह बच्चे अपनी छोटी से छोटी समस्या मेरे पास हक से लेकर आते हैं, तो मुझे लगता है कि मैं सही मायनों में अपना फ़र्ज़ निभा पा रही हूँ। बच्चे बेझिझक मुझसे अपनी बातें शेयर किया करते हैं।''

65 वर्ष की उम्र में शुरू की औषधीय खेती; लाखों में है अब मुनाफ़ा!

''जब उन्होंने पहली बार एक एकड़ में पीली सतावरी लगाई तो आसपास के लोगों ने कहा, पंडित जी क्या झाड़ियां उगा रहे हो? कई लोगों को लगा इनकी बर्बादी के दिन आ गए हैं। लेकिन जब फसल कटी तो करीब चार लाख रुपए मिले। बाकी फसलों के मुकाबले ये रकम कई गुना थी।''

बैंक पीओ टिप्स: दिन में केवल 4 घंटे पढ़ाई कर पहले ही अटेम्प्ट में पास की परीक्षा; आज बैंक में हैं डिप्टी मैनेजर!

By निशा डागर

'हिम्मत और हौसला है तो सब मुमकिन है' इस बात पर यकीन रखने वाले विकी ने हमें विस्तार से बताया कि इस परीक्षा की तैयारी उन्होंने कैसे की थी और पहले ही अटेम्प्ट में इसे पास करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

अरुणाचल के दुर्गम इलाकों तक पैदल यात्रा कर, बच्चों के लिए वैक्सीन पहुंचा रहा है यह युवक!

By निशा डागर

श्री फुरपा अब तक 75 परिवारों तक पहुँचकर, लगभग 35 बच्चों को वैक्सीनेशन दे चुके हैं।

मोगैम्बो खुश हुआ : हिंदी फिल्मों के खलनायकों का महानायक!

By निशा डागर

22 जून 1932 को लाहौर (अब पाकिस्तान में है) में जन्मे अमरीश पुरी हिंदी सिनेमा जगत के महान अभिनेताओं में से एक हैं। उन्होंने लगभग 400 फिल्मों में काम किया था।

अब दो नहीं तीन खिलाड़ी एक साथ खेल सकते हैं शतरंज, भारत ने दिया है दुनिया को पहला 'ट्राईविज़ार्ड चेस'!

कई लोग यह दावा करते हैं कि प्राचीन काल में ‘चतुरंग’ नाम से प्रचलित इस खेल का जन्म गुप्त साम्राज्य के दौरान हुआ था।

बेटी की शादी से 24 दिन पहले हुए शहीद, मथुरा पुलिस ने 6.20 लाख रूपये इकट्ठा कर कराई शादी

जहाँ एक ओर कुछ पुलिस वालों का रवैया समाज में लोगों के बीच नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, वहीं मथुरा पुलिस का यह कार्य हर सरकारी विभाग के लिए एक सकारात्मक सन्देश है।