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हमराही: आदिवासियों के इलाज के लिए झोपड़ी में शुरू किया अस्पताल, 21 साल से कर रहे हैं सेवा!

"इस क्षेत्र में काम करने का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू था उनको विश्वास दिलाना कि मैं सच में एक डॉक्टर हूँ और दूसरा ब्रेन हमरेज के रोगियों का इलाज करना वो भी जगह व बिजली जैसी मूल सुविधा के बिना।"

UPSC EXAM: सिर्फ 3 महीने बचे हैं तैयारी को, जानिए महत्वपूर्ण बातें!

सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है। 3 मार्च को शाम 6 बजे तक भर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन फॉर्म।

इस महिला ने मुंबई की 44 सोसाइटी को सिखाया कचरा मैनेजमेंट

कचरा प्रबंधन की प्रणाली में बदलाव लाने के कारण मारिया को स्थानीय गुंडों और निवासियों के विरोध व धमकियों का सामना करना पड़ा।

"दीमक अच्छे हैं!" महिला किसान की इस शोध ने दिलवाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

भगवती देवी के इस सस्ते और किफायती प्रयोग से किसान की मेहनत और माटी दोनों रहेंगे सुरक्षित!

पारंपरिक हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग को बनाया ब्रांड, गोंड कला को दी 'आशा'!

कलाकारों को मजदूर बनते देख रोहित रूसिया ने इस पुरातन कला को संजोने की ठानी और मशीनों के दौर में बुनकरों का सहारा बने।

24 की उम्र में नौकरी छोड़ कर की मशरूम की खेती, लाखों की कमाई और एक दर्जन को रोजगार भी!

एक टेक्निकल डिग्री पास होने से किसी भी तरह की समस्या के बारे में सोचने और उसे हल करने का तरीका और अंदाज बदल जाता है।

'नेकी की दिवार' - जिसके पास ज़्यादा हो वह देकर जाए, जिसे ज़रूरत हो वह लेकर जाए!

निगम की इस पहल के बाद रायपुर शहर के लोग अब खुद ही अपने आस-पास की दीवारों को खुद से रंग कर सजा रहे हैं और शहर के अलग-अलग स्थानों पर छोटी-छोटी 'नेकी की दीवार' बन गई हैं।

गुटखा छोड़, उन पैसों से 7 साल में लगाए 1 हज़ार पौधे!

"एक दिन वाटिका में आग लग गई और 200 पौधे जलकर राख हो गए। उस दिन मैं इतना रोया, जितना शायद अपनी माँ की मौत के समय भी नहीं रोया था। मेरे बच्चों ने मुझे सोच में देखकर आपस में सलाह की और मुझसे बोले, पापा आप एयरटेल के डिश को हटाकर फ्री वाला डिश लगा दीजिए और उन पैसों से पौधों की सुरक्षा के लिए तार की जाली ले आइए।"

लखनऊ: मानसिक रोग की पीड़ा झेल चुके लोगों का सहारा है चाय की 'केतली'!

By निशा डागर

नवंबर 2016 में शुरू हुए इस संगठन का उद्देश्य मानसिक रोग की पीड़ा झेल चुके लोगों को अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग देकर, उनके खोये आत्मविश्वास को वापस लाना और फिर उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान करना है।