बचपन की दोस्त मिनुश्री और अमृता ने सौर ऊर्जा से चलने वाले तीन इनोवेटिव उपकरण बनाए हैं। इससे न केवल किसानों का काम आसान होगा, बल्कि उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
साल 2014 में जब पीके पात्रो ने देहरादून जू के डायरेक्टर का पद संभाला था, तभी से उन्होंने इसे एक सस्टेनेबल मॉडल के तौर पर विकसित करना शुरू कर दिया था। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज यह जू जीरो कार्बन फुट प्रिंट वाली जगह बनने की ओर बढ़ रहा है।
Edible cutlery startup ‘आटावेयर’ को पुनीत दत्ता ने प्लास्टिक डिस्पोजेबल के विकल्प के रूप में शुरू किया था। इन बर्तनों को आप इस्तेमाल करने के बाद खा भी सकते हैं।
वायनाड के रहनेवाले बाबुराज ने जब गांव में अपने सपनों का घर बनाने के लिए जमीन खरीदी थी, तो योजना सिर्फ बेम्बू हाउस बनाने की थी। उन्हें क्या पता था कि वह एक तालाब के बीचों-बीच होगा। आज उनका तीन मंजिला घर न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि उनकी आमदनी का जरिया भी बन गया है।
तमिलनाडु के कोयम्बटूर के रहनेवाले श्रीनाथ गौतम और विनोथ कुमार ने साल 2018 में सस्टेनेबल आर्किटेक्चर को बढ़ावा देने के लिए ‘भूता आर्किटेक्ट्स’ की शुरुआत की। पढ़ें, कहां से मिली उन्हें इसकी प्रेरणा?
बेंगलुरु के इलेक्ट्रिक मोबिलिटी स्टार्टअप 'बाउंस' ने हाल ही में इलेक्ट्रिक स्कूटर इन्फिनिटी ई 1 लॉन्च की है। यह एक यूनीक 'बैटरी एज ए सर्विस' फीचर के साथ आता है। जाने इसकी और भी बहुत सी खासियतें।
मुंबई और पुणे जैसे शहरों में बतौर इंजीनियर काम करने वाले नरेंद्र पितले, नौ साल पहले शिलिम्ब गांव में आकर बस गए। यहाँ उन्होंने मिट्टी और रीसायकल चीजों से, मात्र दो लाख रूपये में एक इको फ्रेंडली घर तैयार कर लिया।
अब जब साल 2021 अपने अंतिम पड़ाव पर है, तो हम आपके लिए इस साल के उन इको फ्रेंडली घरों की कहानियां लेकर आए हैं, जिन्हें आपने सबसे ज्यादा पढ़ा और सराहा है।
अमरेली के रहनेवाले कैलाशबेन और कनुभाई करकर के घर में तमाम सुविधाएं होते हुए भी, बिजली-पानी का कोई खर्च नहीं आता है। इतना ही नहीं, सरकार उन्हें सालाना 10 हजार रुपये देती है। तभी तो इसे मिला है गुजरात के आदर्श घर का अवॉर्ड।