Powered by

Latest Stories

Homeडिसेबिलिटी

डिसेबिलिटी

IIT गुवाहाटी की नई जीत! इस प्रोस्थेटिक लेग के ज़रिए, योग तक कर पाएंगे दिव्यांगजन

By पूजा दास

IIT-गुवाहाटी के रिसर्चर्स ने भारतीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रोस्थेटिक/आर्टिफिशिअल पैर डिजाइन किया है। इससे दिव्यांगजनों को कई तरह के काम खुद करने में सुविधा होगी। इसकी मदद से लोग आसानी से क्रॉस-लेग्ड बैठ सकते हैं, डीप स्क्वाटिंग कर सकते हैं। साथ ही हर आयु वर्ग के लोग इसका उपयोग कर सकते हैं।

IITian ने बनाया, इलेक्ट्रिक गाड़ी में बदलने वाला व्हीलचेयर

By निशा डागर

IIT मद्रास के इन्क्यूबेशन सेंटर की मदद से यहां के पूर्व छात्र स्वास्तिक दाश ने NeoMotion स्टार्टअप की शुरुआत की, जिसके ज़रिए वह दिव्यांगजनों के लिए कस्टमाइजेबल व्हीलचेयर बना रहे हैं!

एक ज़िंदगी और हज़ारों ख़्वाहिशें, मिलिए हिमाचल के पहले पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी से!

By सोनाली

2018 में उन्होंने इंदौर में अपना पहला नेशनल्स खेला था और अब वह 2024 के पैरालिम्पिक्स की तैयारी कर रहे हैं और एक बार फिर से देश की जर्सी पहन देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का सपना देख रहे हैं।

मिलिए अहमदाबाद की पहली दिव्यांग महिला ऑटो ड्राइवर से, उठा रहीं पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी!

By सोनाली

पिता के कैंसर, घर की बंद आमदनी और जीरो बचत को ध्यान में रखते हुए अंकिता ने लीग से कुछ हटकर ऑटो रिक्शा चलाने का फैसला किया।

नौकरी मांगने आते थे दिव्यांग जन, कलेक्ट्रेट में ही खुलवाकर दे दिया 'कैफ़े'!

By भरत

जिला कलेक्टर संदीप नंदूरी ने दिव्यांग जनों को 'कैफ़े' शुरू करने से पहले 45 दिन का होटल मैनेजमेंट कोर्स भी करवाया था। साथ ही उन्हें कलेक्ट्रेट परिसर में ही 'कैफ़े' शुरू करके दिया है क्योंकि यह लोग 'कैफ़े' का किराया देने जितने सक्षम नहीं हैं।

80 बरस के रंगमंच गुरु रिटायरमेंट के बाद अब नेत्रहीन बच्‍चों को सिखाने में जुटे हैं थियेटर के रंग

By अलका कौशिक

दिनभर वर्कशॉप में उन्‍हें तल्‍लीनता से जुटे देखकर यह वाकई सच लगता है कि उम्र बस एक आंकड़ा भर है।

'थाली-कटोरी टेस्ट' : इस दंपत्ति की इस छोटी सी कोशिश ने दिया 102 बधिर बच्चों को नया जीवन!

By निशा डागर

Maharashtra के सोलापुर जिले में शेतफल गाँव के निवासी योगेश कुमार भांगे प्राइमरी सरकारी स्कूल में टीचर हैं और साथ ही, 'वॉइस ऑफ़ वॉइसलेस' संगठन के संस्थापक भी। इस संगठन के ज़रिए उनका उद्देश्य ऐसे बच्चों के उत्थान के लिए काम करना है जो कि सुन नहीं सकते।

समाज की सोच को बदलने की पहल, 3,000+ दिव्यांगों को बनाया आत्म-निर्भर!

By निशा डागर

गिफ्ट-एबल्ड फाउंडेशन दिव्यांगों और उनके अधिकारों के प्रति समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता लाने के लिए भी वर्कशॉप आयोजित करती रहती है।