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प्रवेश कुमारी

प्रवेश कुमारी मॉस कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुकीं हैं। लिखने के साथ ही उन्हें ट्रेवलिंग का भी शौक है। सकारात्मक ख़बरों को सामने लाना उन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरी लगता है।

रिटायर्ड फौजी की पहल; लॉकडाउन में युवाओं को जोड़ा और बनवा दी 3.5 किलोमीटर सड़क!

लॉकडाउन के दौरान 28 दिन तक 40 युवाओं ने 10 से 12 घंटे नियमित काम कर इस चुनौती को पूरा किया।

दिल्ली: फुटपाथ और झुग्गी के बच्चों को ऑफिस के लंचटाइम में खाना खिलाते हैं यह अकाउंटेंट

कैंटीन में वह सूखा राशन मुहैया कराते हैं और फिर जब खाना तैयार हो जाता है तो एक घंटे के लंच टाइम में उसे स्लम में बांटने के लिए निकल पड़ते हैं।

मैकेनिकल इंजीनियर बन गया किसान, खुद भी कमाता है लाखों में और दूसरों को भी देता है रोज़गार!

गाँव के पढ़े-लिखे युवाओं को अपने साथ वह खास तौर से जोड़ने की कवायद कर रहे हैं, ताकि उन्नत खेती पर पूरा ध्यान दें सकें।

500 ज़रूरतमंद परिवारों तक राशन और पशुओं तक मुफ्त चारा पहुंचा रहा है यह किसान परिवार

लॉकडाउन में पशुओं का चारा की सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। गांव में पशुओं को परेशानी न हो इसके लिए वह गेंहू की फसल का भूसा आदि बांट रहे हैं। इस काम में उनका अबतक करीब ढाई लाख रुपया खर्च हो चुका है।

श्रमिकों के शुक्रिया करने का अनोखा अंदाज़, आश्रय बने सरकारी स्कूल की बदली सूरत

सरपंच बताते हैं कि कुछ प्रवासी श्रमिकों ने स्कूल को चमकाया तो दूसरे भी खाली नहीं बैठे। कोई श्रमिक पौधों की देखभाल और इन्हें पानी देने के काम में जुटा है तो कोई निराई गुड़ाई करने लगता है। कोई अन्य कार्य में हाथ बंटाता है।

तरबूज़ की खेती ने बनाया लखपति, 200 लोगों को दे रहे हैं रोजगार

उनकी एक सीजन में 100 ट्रक से अधिक तरबूज की बिक्री होती है और एक सीजन की कमाई की बात करें तो वह 40 लाख रुपए से अधिक है।

मल्टीनेशनल की नौकरी छोड़ी, केंचुआ खाद बेचकर कमाते हैं करोड़ों

उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उड़ीसा, असम सहित कुल 14 राज्यों में करीब आठ हजार यूनिट स्थापित हैं। इनमें 80 के करीब यूनिट्स अकेले मेरठ जिले में हैं।

IBM कंपनी में जनरल मैनेजर की नौकरी छोड़ ऑर्गेनिक खेती की, चार हजार किसानों को जोड़ा

किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग देने के साथ-साथ, अजय उन्हें वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने और उत्पाद की मार्केटिंग करने के गुर भी सिखा रहे हैं।

जहाँ किसानों ने कीवी का नाम तक नहीं सुना था, वहाँ 'कीवी क्वीन' बन कमातीं हैं लाखों!

सीता देवी ने कीवी की खेती करने की ठानी तो उन्हीं के गाँव के कुछ लोग उनके हौसले को तोड़ने की साजिश में जुट गए। कुछ कहते थे कि ऐसी फसल कहां होती है, जिसे जानवर नुकसान न पहुंचाएं और कुछ का कहना था कि कीवी विदेशी फल है, परंपरागत फसलों के क्षेत्र में इसकी पैदावार रंग ही नहीं लाएगी।

मधुमक्खियों को बचाकर किया जंगल का संरक्षण, तितली-पार्क शुरू कर बढ़ाई उत्तराखंड की शान!

अरुण को सेंक्चुरी एशिया मैगजीन की ओर से 2019 का बेस्ट वाइल्ड लाइफ सर्विस अवार्ड प्रदान किया गया है।