कोटा (राजस्थान) के रहनेवाले 65 वर्षीय श्यामवीर सिंह और 66 वर्षीया उनकी पत्नी, वैद्य विजेन्द्री पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा समय से लगातार कुत्तों की सेवा कर रहे हैं। राजकीय सेवा से रिटायर श्यामवीर, अपनी लगभग अपनी पूरी पेंशन कुत्तों पर खर्च कर देते हैं।
जोधपुर में रहनेवाली सना फिरदौस का प्रकृति और पक्षी प्रेम देखकर आप भी खुश हो जाएंगे। घर की बेकार चीजों का उपयोग करके, उन्होंने घर पर ही एक बेहद सुंदर पक्षी अभ्यारण्य बनाया है।
राजस्थान के बूंदी जिले के छोटे से गांव सांकड़दा के निवासी राजेश, पशु-पक्षी प्रेमी हैं। उन्होंने गांववालों के साथ मिलकर 500 कबतूरों की एक ऐसी कॉलोनी बनाई है, जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है।
अभाव से आवश्यकताएं जन्म लेती हैं, असफलताएं नहीं। राजस्थान के भैरूसरी के किसान सहदेव सहारण की पांचों बेटियों रोमा, मंजू, ऋतु, अंशु और सुमन सहारण का RAS में चयन हुआ।
राजस्थान के नागौर जिला स्थित सिरसूं गाँव में रहनेवाले 50 वर्षीय रेंवत सिंह राठौड़ के खेत में 2000 से भी ज्यादा पेड़-पौधे हैं। उन्होंने एक खेजड़ी के पेड़ पर ट्रीहाउस भी बनाया है।
श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में इस अनोखी रसोई को शुरू करने वाले 11 दोस्तों की इस टोली में व्यापारी, दुकानदार, सरकारी कर्मचारी से लेकर फोटोग्राफर शामिल हैं!
राजस्थान में अपने दादा-दादी के पास छुट्टियाँ मनाने आई चेष्टा ने जब गाँव में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे देखे तो कुछ करने की ठानी और देखते ही देखते स्वच्छता अभियान शुरू कर दिया!
“मैं इन छात्रों को लेकर काफी डरा हुआ था। अकेलापन, चिंता और अवसाद युवाओं को अधिक प्रभावित करता है। मेरा पूरा ध्यान उन बच्चों को सुरक्षित तरीके से कोटा से बाहर निकालने पर था।" - ओम प्रकाश कसेरा, जिला कलेक्टर,कोटा।