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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

दिल्ली सरकार का अहम फ़ैसला, अक्टूबर तक चलाई जाएँगी दिव्यांगों के अनुकूल 1,000 बसें!

By निशा डागर

दिल्ली सरकार ने राजधानी में दिव्यांग-अनुकूल बस चलवाने का फ़ैसला किया है। इस पहल के पायलट स्टडी के लिए फ़िलहाल 25 बस शुरू होंगी और ऐसी कुल 1, 000 बसें अक्टूबर के महीने तक पूरे शहर भर में दौड़ने लगेंगी। जब पूरी दुनिया में ट्विटर पर #ThingsDisabledPeopleKnow पर बात हो रही है तो यह बहुत ही अच्छा कदम है।

जानिए भारत के खेल-गाँव के बारे में, जहाँ हर घर में मिलेंगें खिलाड़ी!

By निशा डागर

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित पुरई गाँव भारत के खेल-गाँव के नाम से मशहूर है। इस गाँव में हर एक घर में आपको खिलाड़ी मिल जायेंगें। पिछले साल ही भारतीय खेल प्राधिकरण ने गाँव के 12 बच्चों को तैराकी के लिए चुना है। इन बच्चों को ओलिम्पिक के लिए तैयार किया जायेगा।

दिल्ली पुलिस : इस सिपाही ने यमुना में 400 मीटर तक पीछा कर, पकड़ा मानव तस्करी के आरोपी को!

By निशा डागर

बीते शनिवार, 19 जनवरी 2019 को दिल्ली पुलिस ने देर रात को काफ़ी जद्दोज़हद के बाद मानव तस्करी के एक बड़े अपराधी, लोपसंग लामा को गिरफ्तार किया। लामा मूल रूप से नेपाल से है लेकिन अब उसका परिवार अरुणाचल प्रदेश में रहता है।

मणिपुर के जिला कलेक्टर की मदद से बदली मिज़ोरम के एक गरीब बच्चे की ज़िंदगी!

By निशा डागर

मणिपुर के तामेंगोंग जिले के जिला कलेक्टर आर्मस्ट्रांग पामे ने हाल ही में मिज़ोरम के एक 11 वर्षीय लड़के की क्लेफ्ट-सर्जरी करवाई है और उसका पूरा खर्चा उन्होंने सस्वयं उठाया है। इससे पहले उन्होंने मणिपुर, नागालैंड और असम को जोड़ने वाले 100 किलोमीटर के रोड का भी निर्माण करवाया था।

भारतीय रेलवे: 15 साल बाद वापिस आ रही है आपकी 'कुल्हड़ वाली चाय'!

By निशा डागर

भारतीय रेलवे ने उत्तर-प्रदेश में बनारस और राय बरेली के सभी रेलवे स्टेशननों पर खाने-पीने की वस्तुओं के लिए प्लास्टिक या पेपर कप की जगह टेराकोटा या पक्की मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और प्लेट इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। इसका उद्देश्य स्थानीय कुम्हारों के लिए बड़ा बाज़ार उपलब्ध कराना है।

ज़िंदगी को पूरी तरह से जियो ताकि आख़िरी पलों में कोई पछतावा न रहे!

By निशा डागर

Humans of Bombay (मुंबई) पोस्ट में एक गुजराती आंटी ने बताया कि कैसे अब तक उन्होंने अपनी ज़िंदगी को पूरे दिल से जिया है। उनका अनुभव हमें सिखाता है कि मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं पर ज़िंदगी चलती रहनी चाहिए। ताकि अगर आप किसी पल मर भी जाएँ तो भी आपको कोई पछतावा न रहे।

ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान: भारत रत्न पाने वाला गैर-हिंदुस्तानी, जिसकी हर सांस में भारत बसता था!

By निशा डागर

साल 1987 में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान को भारत सरकार ने 'भारत रत्न' से नवाज़ा। उनका जन्म 6 फरवरी 1890 को पेशावर (अब पाकिस्तान में है) में हुआ। उन्हें 'सरहदी गाँधी,' 'बाचा ख़ान' और 'बादशाह ख़ान' के नाम से भी जाना जाता है। वे भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो गाँधी जी के साथ अहिंसा के मार्ग पर चले।

भारतीय रेलवे का सराहनीय कदम, पीरियड्स के दौरान की महिला यात्री की मदद!

By निशा डागर

बीते सोमवार को होसपेट पैसेंजर ट्रेन से एक यात्री, विशाल खानापूरे ने भारतीय रेलवे को ट्वीट किया कि उसकी एक दोस्त को पीरियड्स के चलते पैड्स और दर्द की दवा की जरूरत है। इस पर रेलवे अधिकारियों ने तुरंत उनकी मदद करते हुए लड़की के लिए जरूरी चीजें उपलब्ध करवायीं।

'नपनी' : लड़की को वस्तु समझने वालों की सोच पर ज़ोर का तमाचा है 'दूधनाथ सिंह' की यह कहानी!

By निशा डागर

दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के सोबंथा गाँव में हुआ। हिंदी साहित्य के प्रसिद्द लेखक, कवि, आलोचक और संपादक रहे दूधनाथ सिंह को साठोत्तरी कहानी आंदोलन का सूत्रपात माना जाता है। साल 2018 में 11 जनवरी को 81 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

जिनकी आवाज़ के सब दीवाने थे, कभी उस 'के. एल सहगल' ने गाना तो क्या बोलना भी छोड़ दिया था!

By निशा डागर

के. एल. सहगल यानी कुंदन लाल सहगल को हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार कहा जाता है। उनका जन्म 4 अप्रैल 1904 को जम्मू-कश्मीर में हुआ। सहगल एक बेहतरीन गायक होने के साथ-साथ मशहूर एक्टर भी थे। 18 जनवरी 1947 को उनका निधन हुआ।