"मैं अपने वीडियोज़ में कोई मेकअप नहीं करती, घर के कपड़ों में होती हूँ और अपने छोटे से घर में ही रिकॉर्ड करती हूँ, ताकि मैं उन सब लोगों तक ये बात पहुँचा सकूं कि अगर आप में टैलेंट है तो ये सारी चीज़ें बिल्कुल मायने नहीं रखतीं," ममता कहती हैं।
एक बड़ी टीवी कंपनी में उन्हें जॉब भी मिली। पर जब उन्हें उनका काम समझाया गया तो वह दंग रह गयीं। काजल को असेंबली लाइन में खड़े होने का काम दिया जा रहा था, जहाँ 12वीं पास लोग भी काम कर रहे थे।
यह कहानी है सविता डकले की, जिन्होंने न सिर्फ अपनी इस आम कहानी को अपनी मेहनत और लगन से ख़ास बनाया बल्कि अपने गाँव की दूसरी महिलाओं को भी अपने नक़्शे कदम पर चलने के लिए प्रेरित किया।
आकांक्षा ने डॉक्टरी के अपने बेहतरीन भविष्य को परे रखते हुए UPSC की तैयारियां शुरू कर दी और 24 साल की उम्र में उन्होंने अपने पहले ही अटेम्प्ट में उन्होंने इस परीक्षा में 76वां रैंक हासिल किया।